देश में हर एक मौसम में किसानों के द्वारा मौसमी फसलों की खेती की जाती हैं. वहीं मौसम अच्छा और खराब होने के वजह से किसी सीजन में फसल की पैदावार अच्छी हो जाती है, तो किसी सीजन में नहीं. जिस सीजन में फसल की ज्यादा पैदावार हो जाती है उस सीजन के आखिर में अमूमन सब्जियों और फलों का कुछ हिस्सा बर्बाद हो जाता है. इसके अलावा, कई बार बाजार में उचित दाम नहीं मिलने पर भी किसान अपनी फसल को मवेशियों को खिला देते हैं या खेत में ही छोड़ देते हैं. लेकिन अब किसानों को खेत में खराब हो रही सब्जियों और फलों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कृषि क्षेत्र में विज्ञान अब बहुत आगे बढ़ चुका है. कई ऐसी मशीनों का निर्माण किया जा चुका है जिनकी मदद से फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. उन्हीं में से एक 'सोलर ड्रायर’ मशीन भी है.
सोलर ड्रायर मशीन से सब्जियों और फलों को सुखाकर न सिर्फ बचाया जा सकता है बल्कि उनका ऑफ़ सीजन के लिए भंडारण भी किया जा सकता है. वहीं पिछले वर्ष, नासिक में सह्याद्रि फार्म्स एफपीसी के किसानों-सदस्यों ने सोलर ड्रायर का उपयोग करके ताजे अंगूरों से पांच टन किशमिश, दो टन सूखे टमाटर के स्ट्रिप्स और दस टन सूखे प्याज का उत्पादन किया और ऑफ़ सीजन में सेल किया.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, सह्याद्री फार्म्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आश्चर्य की बात नहीं है कि अधिक से अधिक किसान अब सोलर ड्रायर स्थापित करना चाहते हैं. सोलर ड्रायर से फलों और सब्जियों जैसे उत्पादों से नमी हट जाता है. सोलर ड्रायर सिस्टम के भीतर उत्पन्न गर्मी फलों और सब्जियों की नमी को वाष्पित कर देती है और उपज की शेल्फ-लाइफ बढ़ा देती है.
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वहीं, सह्याद्रि फार्म्स के संस्थापक और अध्यक्ष विलास शिंदे एक प्रेस बयान में कहा, “सस्टेन प्लस के सहयोग से, हमने पायलट सोलर प्रोजेक्ट शुरू की जिसके तहत सोलर पंप और सोलर ड्रायर स्थापित किए गए. उपज का मूल्य बढ़ा और फसल तुड़ाई के बाद बर्बादी भी कम हुई. बाजार में कृषि उत्पाद की कीमतों में गिरावट से निपटने के लिए इस पद्धति का उपयोग करके मौजूदा सिस्टम के समानांतर तंत्र विकसित किया जा सकता है.”
सह्याद्रि फार्म्स एंड सस्टेन प्लस ने पिछले साल पायलट सोलर ड्रायर प्रोजेक्ट शुरू की और 500 किलोग्राम क्षमता के 20 सोलर ड्रायर स्थापित किए. सस्टेन प्लस ने प्रति ड्रायर 65 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जो लगभग 20 लाख रुपये था और किसानों को सिर्फ 35 प्रतिशत देना पड़ा. वहीं रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड ने नासिक में ये सोलर ड्रायर लगाए और किसानों को ट्रेनिंग भी दिया.
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वहीं, नासिक के डिंडोरी के एक किसान महेंद्र सुरवाडे ने कहा कि उन्हें प्रोसेस्ड अंगूरों के लिए अच्छा रिटर्न मिला है. उन्होंने कहा, “सोलर ड्रायर और मेरे उत्पाद के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण मैं अच्छी गुणवत्ता वाली किशमिश का उत्पादन कर सका. नतीजतन, मुझे बाजार में अच्छी कीमत मिली और मुझे आय प्राप्त करने का एक नया तरीका भी मिला.”