Intercropping क्या है? सहफसली खेती से किसानों को होने वाले 5 बड़े फायदे

Intercropping क्या है? सहफसली खेती से किसानों को होने वाले 5 बड़े फायदे

इंटरक्रॉपिंग कनीक को अपनाकर किसान न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि एक साथ कई फसलों की खेती भी कर रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसल उगाने की तकनीक.

सहफसली खेतीसहफसली खेती
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Nov 14, 2025,
  • Updated Nov 14, 2025, 1:55 PM IST

मौजूदा समय में किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक और तरीके का इस्तेमाल करने लगे हैं. धीरे-धीरे किसान भी आधुनिकता के इस दौर से खुद को जोड़कर कृषि के क्षेत्र में नए बदलाव करने लगे हैं. इन तकनीकों का इस्तेमाल कर किसान अब बंपर मुनाफा भी कमा रहे हैं. एक ऐसी ही तकनीक है इंटरक्रॉपिंग, इस तकनीक को अपनाकर किसान न सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि एक साथ कई फसलों की खेती भी कर रहे हैं.

इंटरक्रॉपिंग का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसल उगाने की तकनीक. यह पारंपरिक खेती से अलग और ज्यादा मुनाफे वाला तरीका है. इसमें खेत के हर हिस्से का इस्तेमाल होता है और किसानों को ज्यादा उत्पादन के साथ अच्छी आमदनी भी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इंटरक्रॉपिंग और क्या हैं इसके पांच फायदे.

क्या है इंटरक्रॉपिंग तकनीक?

इंटरक्रॉपिंग (सहफसली खेती) एक ऐसी तकनीक है जिसमें एक ही खेत में एक ही समय पर दो या दो से अधिक फसलें उगाई जाती हैं. यह एक-दूसरे की वृद्धि में बाधा न डालने वाली फसलों के संयोजन को चुनकर की जाती है, जैसे कि दलहनी  फसल या अलग-अलग जड़ वाले गहराई तक पहुंचने वाली और कम गहराई तक जाने वाली फसलें.

इंटरक्रॉपिंग कैसे की जाती है

फसलों का सही चुनाव: ऐसी फसलों को चुनें जिनकी जड़ें अलग-अलग गहराई तक जाती हों और जिन्हें एक-दूसरे से पोषक तत्व पहुंचाएं, जैसे कि गहरी जड़ों वाली फसल (उदाहरण: मक्का) और उथली जड़ों वाली फसल (उदाहरण: मूंग) या दलहनी फसल और अनाज वाली फसल.

उचित व्यवस्था: फसलों को एक निश्चित पैटर्न में बोया जाता है. यह अलग-अलग पंक्तियों में और मिश्रित रूप में या पट्टियों में हो सकता है.

एक ही समय पर बुवाई: दोनों फसलों की बुवाई एक ही समय पर की जाती है, या एक फसल के स्थापित हो जाने के बाद दूसरी फसल बोई जाती है.

उचित दूरी: दो फसलों के बीच सही दूरी रखी जाती है ताकि वे एक-दूसरे के सूर्य के प्रकाश और पोषक तत्वों को पहुंचाएं.  

सहफसली खेती के 5 फायदे

1. आय में बढ़ोतरी: एक ही खेत से दो फसलें उगाने पर किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है. उदाहरण के लिए, जब तक मुख्य फसल (जैसे यूकेलिप्टस) बड़े नहीं होते, तब तक आप मक्का जैसी सहफसली फसल से मुनाफा कमा सकते हैं.

2. जोखिम में कमी: यदि कोई एक फसल खराब हो जाती है, तो दूसरी फसल से नुकसान की भरपाई हो जाती है. इससे किसानों का कुल जोखिम कम हो जाता है.

3. मिट्टी की उर्वरता में सुधार: अलग-अलग जड़ वाली फसलों को उगाने से मिट्टी की जल निकासी में सुधार होता है, और दलहनी फसलों को उगाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है.

4. प्राकृतिक कीट और रोग नियंत्रण: सहफसली खेती से प्राकृतिक कीट नियंत्रक बढ़ सकते हैं. कुछ फसलें, जैसे कि कद्दू, कीटों को दूर भगाने में मदद कर सकती हैं.

5. लागत में कमी: इंटरक्रॉपिंग से किसान एक ही बार खेत तैयार करता है, एक ही बार सिंचाई और खाद डालता है, जिससे खर्च कम होता है. साथ ही जब दो फसलें एक साथ बाजार में बिकती हैं, तो आय बढ़ जाती है

किसानों के लिए बेहतर विकल्प

आज के समय में जब मौसम बदल रहा है और खेती में लागत बढ़ रही है, इंटरक्रॉपिंग किसानों के लिए एक स्मार्ट विकल्प है. इससे उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और जोखिम भी कम होता है. अगर एक फसल खराब हो जाए, तो दूसरी से नुकसान की भरपाई हो सकती है. इंटरक्रॉपिंग से न केवल खेत का बेहतर उपयोग होता है, बल्कि किसान को अधिक आय, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई फायदे भी मिलते हैं. सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है, जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें. इसलिए अब समय है कि किसान इंटरक्रॉपिंग अपनाएं और खेती को बनाएं ज्यादा फायदेमंद और टिकाऊ.

इंटरक्रॉपिंग के कुछ उदाहरण

  • मक्का और राजमा
  • गन्ना और सरसों
  • चना और गेहूं
  • अरहर और मूंगफली
  • धान और मछली पालन

MORE NEWS

Read more!