तोरई की अधिक पैदावार चाहिए तो 3G कटिंग करना न भूलें, बेहद कारगर है खेती की ये तकनीक

तोरई की अधिक पैदावार चाहिए तो 3G कटिंग करना न भूलें, बेहद कारगर है खेती की ये तकनीक

पौधे की वृद्धि के लिए उसे खाद, जरूरी पोषण के लिए पानी की जरूरत होती है और समय-समय पर कटिंग की भी जरूरत होती है. आइए समझते हैं कि कटिंग तकनीक क्या है. पौधों की इस कटिंग तकनीक में 3G कटिंग को सबसे बेहतर माना जाता है. जब पौधे की शाखा लगभग 1 मीटर लंबी हो जाती है और उसमें 6-7 पत्तियां आने लगती हैं, तो उसके ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है.

3G cutting Technique3G cutting Technique
प्राची वत्स
  • Noida,
  • May 29, 2024,
  • Updated May 29, 2024, 1:10 PM IST

तोरई को नकदी फसल के रूप में जानी जाती है. इसके पौधे बेल और लता के रूप में उगते हैं, जिस कारण इसे लता वाली सब्जियों की श्रेणी में रखा जाता है. तोरई को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे तोरी, झींगी और तुरई आदि. इसके पौधों में आने वाले फूल पीले रंग के होते हैं. फूल नर और मादा रूप में निकलते हैं, जिनके निकलने का समय भी अलग-अलग होता है. तोरई की खेती के लिए बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है. अगर आप भी तोरई की खेती से अच्छी पैदावार और मुनाफा कमाना चाहते हैं तो कुछ बातों का खास खयाल रखना होगा. जैसे की 3G कटिंग. अब क्या है ये 3G कटिंग और इससे क्यों बढ़ती है पैदावार आइए जानते हैं.

भूमि की तैयारी

  • खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें.
  • खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दें ताकि उसे अच्छी तरह से धूप मिल सके.
  • इसके बाद खेत में प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन पुरानी गोबर की खाद डालें और खेत की हल्की जुताई करें. ऐसा करने से खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाती है. इसके बाद खेत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें.
  • इसके बाद आखिरी जुताई के समय 25:35:30 किलोग्राम एनपीके को छिड़काव विधि से मिट्टी में मिला दें.
  • इसके बाद पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर दें.
  • अब खेत में 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदें और उसमें गड्ढे बनाकर बीज रोपें.

क्या है 3G कटिंग?

पौधे की वृद्धि के लिए उसे खाद, जरूरी पोषण के लिए पानी की जरूरत होती है और समय-समय पर कटिंग की भी जरूरत होती है. आइए समझते हैं कि कटिंग तकनीक क्या है. दरअसल, पौधे की पहली शाखा पहली पीढ़ी होती है, जिसे 1G कहते हैं. उसी शाखा से निकलने वाली शाखाएं दूसरी पीढ़ी होंगी, जिसे 2G कहते हैं. वहीं दूसरी पीढ़ी की शाखा से निकलने वाली शाखाओं को तीसरी पीढ़ी यानी 3G कहते हैं. इसी तरह आगे की शाखाओं को 4th और 5th पीढ़ी कहते हैं.

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क्या है कटिंग तकनीक?

पौधों की इस कटिंग तकनीक में 3G कटिंग को सबसे बेहतर माना जाता है. जब पौधे की शाखा लगभग 1 मीटर लंबी हो जाती है और उसमें 6-7 पत्तियां आने लगती हैं, तो उसके ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है. इसके बाद वह शाखा ऊपर की ओर ज्यादा नहीं बढ़ती, बल्कि उसमें से दूसरी शाखाएं निकलने लगती हैं, जो अगली पीढ़ी की होती हैं. इन शाखाओं को भी 1 मीटर तक बढ़ने दिया जाता है, जिसके बाद उन्हें काट दिया जाता है, जिससे आगे की शाखाएं निकलने लगती हैं.

कैसे करें 3G कटिंग?

बीज अंकुरित होने के बाद जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, पहले चार पत्तों तक कोई भी शाखा न बढ़ने दें. अगर कोई शाखा उगी है, तो उसे ब्लेड से काटकर हटा दें. पौधे के अंत तक यानी जब तक पौधा अपना जीवन काल पूरा न कर ले, तब तक पहली चार पत्तियों तक कोई भी शाखा न बढ़ने दें.

3G कटिंग करने का सही तरीका

  • 3G कटिंग के लिए कम से कम 20 से 30 दिन पुराना पौधा चुनें.
  • जड़ से निकलने वाले मुख्य तने में अगर ज़मीन की सतह से 7-8 पत्तियां निकल रही हों तो उन्हें काट दें.
  • मुख्य तने पर 10 से 12 पत्तियां आने के बाद तने के ऊपरी हिस्से को काट दें. ऐसा करने से पौधे की वृद्धि रुक ​​जाएगी और पौधे पर नई शाखाएं निकल आएंगी.
  • मुख्य तने के ऊपरी हिस्से को काटने के बाद जो शाखाएं निकलती हैं उन्हें भी काट दिया जाता है.
  • मुख्य तने के ऊपरी हिस्से से निकलने वाली दो शाखाओं के अलावा बाकी सभी छोटी शाखाओं को काट दें.
  • कुछ दिनों बाद मुख्य तने से निकलने वाली दोनों शाखाओं में भी कई शाखाएं निकल आएंगी. कुछ शाखाओं को छोड़कर बाकी सभी शाखाओं को काट दें.

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