फसल उपज बढ़ाने में मददगार है टनल फार्मिंग, कम लागत में किसानों की कमाई हो जाती है डबल

फसल उपज बढ़ाने में मददगार है टनल फार्मिंग, कम लागत में किसानों की कमाई हो जाती है डबल

इस कृषि तकनीक का उपयोग सब्जियों, फलों, फूलों और जड़ी-बूटियों सहित विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने के लिए किया जाता है. यह किसानों को खराब मौसम के बावजूद फसल उगाने में मदद करता है.

टनल फार्मिंग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 05, 2024,
  • Updated May 05, 2024, 1:30 PM IST

देश के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर अब तेजी से आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. आजकल किसान उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर ना केवल सफल खेती कर रहे हैं, बल्कि कम समय में दोगुना मुनाफा भी कमा रहे हैं. दरअसल पहले किसानों को कृषि कार्य पूरा करने में एक लंबा समय लगता था. वहीं अब आधुनिक तकनीकों की मदद से किसान उसी काम को कम समय में आसानी से पूरा कर सकते हैं. ऐसी ही एक तकनीक है टनल फार्मिंग तकनीक जिसे आज दुनिया भर में कई किसान अपना रहे हैं.

ये तकनीक कृषि जगत के लिए क्रांति से कम नहीं है. इस तकनीक से सब्जियों और फलों की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा माना जाता है. टनल फार्मिंग कई तरह के फल, सब्जियों और फूलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी खासियत.

टनल फार्मिंग की खासियत

इस कृषि तकनीक का उपयोग सब्जियों, फलों, फूलों और जड़ी-बूटियों सहित विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने के लिए किया जाता है. यह किसानों को खराब मौसम के बावजूद फसल उगाने में मदद करता है. टनल फार्मिंग एक कृषि प्रणाली है, जिसमें पौधों को सुरक्षित और नियंत्रित आवास में उगाया जाता है. इसमें प्राकृतिक उपायों का प्रयोग किया जाता है. टनल फार्मिंग को आमतौर पर सर्दियों के मौसम के लिए बेहतरीन माना जाता है. बता दें कि किसी भी पौधे की ग्रोथ के लिए कम से कम 10 डिग्री तापमान चाहिए होता है.

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कैसे तैयार किया जाता है टनल

टनल फार्मिंग ऐसी तकनीक है जिसमें खेत में एक मीटर चौड़ी क्यारियां तैयार की जाती हैं और इसके ऊपर अर्ध चन्द्राकार संरचना बांस या पाइप को मोड़कर बनाई जाती हैं. इन तैयार क्यारियों पर लोहे के तारों द्वारा जोड़कर 1.5 से 2.0 मीटर के अंतराल पर जमीन में पाइप गड़ते हैं. फिर इसके ऊपर पारदर्शी प्लास्टिक (पन्नी) को ओढ़ा दिया जाता है. अर्द्धचन्द्राकार संरचनाओं पर पन्नी चढ़ाकर उनके निचले हिस्सों को मिट्टी में दबा दिया जाता है. इससे दिन के समय धूप निकलने पर अंदर का तापमान बढ़ जाता है, जो पौधे की ग्रोथ के लिए अच्छा होता है. वहीं ये बरसात, कीटों के संक्रमण और बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम करता है.

इस तरह की खेती में दिन के समय जब सूर्य की रोशनी प्लास्टिक पर पड़ती है तो टनल के अंदर का तापमान करीब 10 से 12 डिग्री तक बढ़ जाता है. इस वजह से इस तकनीक में सब्जियों को सर्दियों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.

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