किसान-Tech: ना मिट्टी की जरूरत, ना मशीनों की... खेती नहीं 'पानी' से पैसा बनाने की है ये तकनीक!

किसान-Tech: ना मिट्टी की जरूरत, ना मशीनों की... खेती नहीं 'पानी' से पैसा बनाने की है ये तकनीक!

किसान भाइयों को ये भी समझना जरूरी है कि हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग में लागत पहली फसल बहुत ज्यादा होती है, फिर ये धीरे-धीरे घटती जाती है. शुरुआत में हाइड्रोपोनिक या प्राकृतिक खेती करने में काफी लागत आती है, लेकिन एक बार हाइड्रोपोनिक्स का फार्म सेट हो जाता है तो उसके बाद हर फसल पर लागत कम होती जाती है और उपज बढ़ती जाती है.

क्या है हाइड्रोपोनिक खेती?
स्वयं प्रकाश निरंजन
  • Noida,
  • May 03, 2024,
  • Updated May 03, 2024, 11:29 AM IST

आज जिस तेजी से दुनिया में खाद्य संकट बढ़ रहा है उससे साफ है कि पारंपरिक तरीकों से होने वाली खेती इस मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. यही वजह है कि किसानों को खेती-बाड़ी के नए और आधुनिक तरीकों को अपनाना ही पड़ेगा. इसलिए हम 'किसान-Tech' की अपनी इस सीरीज में आपको खेती की एक नई तकनीक के बारे में विस्तार से समझाएंगें. ये एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान बिना मिट्टी के भी उन्नत किस्म की फसलें कर सकते हैं. इस खेती में ना तो भारी मशीनरी लगेगी और ना ही बड़े-बड़े खेतों की जरूरत होगी, इसमें किसान को चाहिए होगा तो बस पानी, कुछ खनिज और खाद. खेती की इस तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं. हाइड्रोपोनिक्स खेती क्या है, ये कैसे की जाती है, इसके जरिए कौनसी फसलें उगाई जा सकती हैं, इसकी लागत से लेकर मुनाफे तक, हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग के बारे में हम आपको सबकुछ विस्तार से समझाते हैं.

हाइड्रोपोनिक्स खेती होती क्या है?

हाइड्रोपोनिक्स शब्द में 'हाइड्रो' का मतलब है पानी. खेती की इस तकनीक में मिट्टी की नहीं बल्कि सिर्फ पानी की जरूरत होती है. हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग में मिट्टी की जगह बालू या कंकड़ों को उपयोग किया जाता है. इस तरह की फार्मिंग का एक सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें बदलते और बिगड़ते मौसम का फसल पर कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि इसमें किसान अपने हिसाब से जलवायु को नियंत्रित करके खेती करते हैं. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से वे लोग भी खेती बाड़ी कर सकते हैं जिनके पास खेत नहीं हैं या शहरी इलाके में रहते हैं. 

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इस तकनीक में पारंपरिक खेती के मुकाबले बेहद कम पानी और लागत घटती जाती है. इतना ही नहीं इस तकनीक से उगाए गए पौधे मिट्टी में लगी फसल के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा बेहतर तरीके से बढ़ते हैं. खास बात यह है कि किसान एक छोटे से हाइड्रोपोनिक फार्म में दर्जनों अलग-अलग किस्म की फसलें एक साथ उगा सकते हैं . खेती की इस तकनीक से किसान कम जगह और बिना खेत खलिहानों के ही लाखों कमा रहे हैं. 

कैसे होती है हाइड्रोपोनिक खेती?

ये तो आप जान ही चुके हैं कि हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है. किसानों को चाहिए होते हैं बस पाइप. इन पाइपों में समानांतर दूरी पर छेद किए जाते हैं. इसके बाद इन छेदों में पौधे एक तरह से रोपाए जाते हैं जिनकी सिर्फ जड़ें ही पाइप के छेद से अंदर जाती हैं और पौधे पाइप के छेद से बाहर रहते हैं. छेद किए हुए इन पाइपों में इसके बाद भरा जाता है पानी और पानी के साथ थोड़ी बालू, कंकड़ या फिर कोकोपीट भी मिलाई जाती है. इस पाइप में पानी के साथ ही पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलाकर उसकी जड़ों तक भेजे जाते हैं. इसमें फार्म का तापमान 15 से 30 डिग्री के बीच बनाए रखना होता है और आद्रर्ता यानि नमी को 80 से 85 प्रतिशत रखा जाता है.  

किसान भाइयों को ये भी समझना जरूरी है कि हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग में लागत पहली फसल बहुत ज्यादा होती है, फिर ये धीरे-धीरे घटती जाती है. शुरुआत में हाइड्रोपोनिक या प्राकृतिक खेती करने में काफी लागत आती है, लेकिन एक बार हाइड्रोपोनिक्स का फार्म सेट हो जाता है तो उसके बाद हर फसल पर लागत कम होती जाती है और उपज बढ़ती जाती है. एक मोटे तौर पर अनुमान समझें तो ग्रीन हाउस हाइड्रोपोनिक फार्म का सेटअप लगाने में प्रति एकड़ के क्षेत्र में करीब 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है.

कैसे शुरू करें हाइड्रोपोनिक्स खेती?

जाहिर है हाइड्रोपोनिक्स खेती का तरीका साधारण किसानों के लिए एक दम नया है, लिहाजा इसे लगाने के लिए किसानों की मदद करती हैं एग्रीकल्चर से जुड़ी कुछ कंपनियां. देश में ऐसी कई सारी एग्रीकल्चर कंपनियां हैं जो किसानों को हाइड्रोपोनिक्स फार्म स्थापित करने के लिए सीधे आपके पास आएंगी और आपको इससे जुड़ी तकनीक, इसके सभी उपकरण और इससे जुड़ी तमाम बारीकियां समझाएंगी. हाइड्रोपोनिक्स फार्म सेटअप करने और इसकी ट्रेनिंग लेने के लिए आप अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी ले सकते हैं. इसके लिए किसानों को अलग से ट्रेनिंग भी दी जाती है और इसका कोर्स सिर्फ दो से पांच दिन का ही होता है. 

हाइड्रोपोनिक्स से उगा सकते हैं ये फसलें

खेती की इस तकनीक से आप बड़ी फसलें नहीं कर सकते. इसके जरिए सिर्फ छोटे पौधों वाली फसलें ही लगाई जा सकती हैं। एक हाइड्रोपोनिक्स फार्म में मटर, गाजर, मूली, शलजम, शिमला मिर्च, अनानास, टमाटर, भिंडी, अजवाइन, तुलसी, तरबूज, खरबूजा, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी जैसी फसलें कर सकते हैं।

हाइड्रोपोनिक्स खेती की लागत

बिना मिट्टी की इस खेती में शुरुआत में बहुत अधिक लागत आती है. लेकिन अगर लंबे समय में इस खेती से होने वाला मुनाफा देखा जाए तो ये लागत बेहद हो जाती है. जिन किसानों का बजट कम है तो वे इसकी ट्रेनिंग लेकर अपनी छत या किसी एक कमरे में इसे शुरू कर सकते हैं और इसका सेटअप किसी कंपनी से संपर्क कर लगवा सकते हैं. अगर ये भी ना हो तो किसान भाई हाइड्रोपोनिक्स फार्म का सेटअप लगाना इंटरनेट पर उपलब्ध वीडियो देखकर खुद भी कर लगा सकते हैं. 

अगर बहुत छोटे स्तर पर हाइड्रोपोनिक खेत खुद से बनाएंगे तो इसमें सिर्फ 10 से 15 हजार रुपये की लागत आएगी. लेकिन अगर आप इसका बड़ा सेटअप लगवाते हैं तो खर्च 20 लाख प्रति बीघा से भी ज्यादा आ सकता है. इस फार्म में वातावरण कंट्रोल करने के लिए पॉली हाउस लगाना होगा. हालांकि पॉली हाउस के लिए सरकार की ओर से 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है.    

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