पिंजरे में मछली पालन से 4 लाख का मुनाफा, किसानों को सरकार देती है मदद

पिंजरे में मछली पालन से 4 लाख का मुनाफा, किसानों को सरकार देती है मदद

पिंजरों में भी मछलियां पाली जा रही हैं. आप रांची, झारखंड के गेतलसूद डैम में पिंजरे में मछली पालन का नजारा देख सकते हैं. यहां के मछली पालक पिंजरों में ही मछली पालन कर बहुत बढ़िया कमाई कर रहे हैं. दर्जनों की संख्या में इस तरह के पिंजरे आपको डैम के पानी में नजर आ जाएंगे. दरअसल यह मछली पालन का नया तरीका है.

जानिए पिंजरों में मछली पालन के बारे में
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 02, 2024,
  • Updated May 02, 2024, 2:56 PM IST

मछली पालन अच्छे मुनाफे वाला काम है. पहले लोग तालाबों में पारंपरिक तरीके से इसका पालन करते थे लेकिन अब नई-नई तकनीकों से इसका पालन हो रहा है. पिंजरों में भी मछलियां पाली जा रही हैं. आप रांची, झारखंड के गेतलसूद डैम में पिंजरे में मछली पालन का नजारा देख सकते हैं. यहां के मछली पालक पिंजरों में ही मछली पालन कर बहुत बढ़िया कमाई कर रहे हैं. दर्जनों की संख्या में इस तरह के पिंजरे आपको डैम के पानी में नजर आ जाएंगे. दरअसल यह मछली पालन का नया तरीका है. झारखंड के रांची में स्थित गेतलसूद जलाशय पंगेशियस और तिलापिया प्रजाति की मछलियों को पिंजरे में पालने का सेंटर बन चुका है. इस डैम में बनाए गए 365 पिंजरों में तिलापिया और पंगासियस प्रजाति की मछली के 25 लाख फिंगर साइज बीज डाले गए थे.

यहां आसपास के 16 गांवों के पिंजरे में मछली पालन करने वाले किसान मत्स्य पालन सहकारी समितियों के सदस्य हैं. सहकारी मॉडल से मछली पालन कर रहे किसान इसके लिए जीआई पाइप या मॉड्यूलर पिंजरे का उपयोग कर रहे हैं. हर एक पिंजरे में उनका औसत प्रोडक्शन 3-4 टन होता है. इस जलाशय पिंजरे से मछ्ली  पालकों को हर साल लगभग 4 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा होने का दावा किया जा रहा है.

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डैम में 365 पिंजरे

मछली पालन से जुड़ीं नीली क्रांति, आरकेवीवाई और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना योजना के तहत इसकी शुरुआत साल 20212-13 में की गई थी. इस डैम के पानी में 365 ऐसे पिंजरे तैयार किए गए हैं. जहां पर तिलापिया और पंगासियस मछली का पालन किया जा रहा है. मछली पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने पिछले दिनों पिंजरे में मछली पालन की प्रगति की समीक्षा करने के लिए झारखंड के रांची में गेतलसूद बांध का दौरा किया था. 

मछली पालन की बड़ी संभावना

डॉ. लिखी ने अपनी यात्रा के दौरान पिंजरे में मछली पालने वाले किसानों से उनके मुद्दों और चुनौतियों को समझने के लिए बातचीत की थी. जिसके बाद उन्होंने बताया था कि हमारे देश में 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के जलाशय हैं, जहां पर  मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं. अभी इसका दोहन किया जाना बाकी है.

कितने पिंजरों की मंजूरी

डॉ. लिखी ने बताया था कि मत्स्य पालन योजना एकीकृत विकास और प्रबंधन के तहत 14022 पिंजरों को मंजूरी दी गई है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 420 करोड़ रुपये और 44,908 यूनिट पिंजरों को मंजूरी दी गई हैं.

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