‘एवियन इन्फ्लूएंजा’ या ‘बर्ड फ्लू’, पक्षियों में होने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है. यह रोग पक्षियों में बहुत तेजी से फैलता है. यह रोग देखते ही देखते पूरे के पूरे पोल्ट्री फार्म को तबाह कर देता है. इस रोग की वजह से मुर्गियां एक-एक कर मरने लगती हैं. वही इस रोग की वजह से हर साल लाखों मुर्गियों को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है ताकि बर्ड फ्लू का संक्रमण पक्षियों और इंसानों में न फैल पाए. हालांकि, अब मुर्गीपालन करने वाले किसानों को ‘बर्ड फ्लू’ की वजह से चिंता करने की जरुरत नहीं है.
दरअसल कृषि मंत्रालय के अनुसार, आईसीएआर-एनआईएचएसएडी (ICAR-NIHSAD), भोपाल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ‘मुर्गियों के लिए निष्क्रिय कम रोगजनक एवियन इन्फ्लुएंजा (H9N2) वैक्सीन' के टेक्नोलॉजी को मैसर्स ग्लोबियन इंडिया प्रा. लिमिटेड, सिकंदराबाद, मेसर्स वेंकटेश्वर हैचरीज प्रा. लिमिटेड, पुणे, मेसर्स इंडोवैक्स प्रा. लिमिटेड, गुड़गांव और मैसर्स हेस्टर बायोसाइंसेज लिमिटेड, अहमदाबाद को मंगलवार को ट्रांसफर कर दिया गया. यह सुविधा एनएएससी (NASC), नई दिल्ली में एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड (AgIn) द्वारा प्रदान की गई.
डॉ. हिमांशु पाठक ने बर्ड फ्लू के एच9एन2 (H9N2) वायरस के लिए पहले स्वदेशी वैक्सीन के विकास में आईसीएआर-एनआईएचएसएडी के वैज्ञानिकों के साथ ही उद्योग जगत को इसके टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर संबंधी प्रयासों के लिए एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड (एजीआईएन) की सराहना की.
डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, डीडीजी (पशु विज्ञान) ने कहा कि यह वैक्सीन भारत और विदेश दोनों ही बाजारों के मानकों पर खरा उतरेगा. यह वैक्सीन बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करके मुर्गीपालन (Poultry Farming) से जुड़ें किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
इस कार्यक्रम में डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (DARE) तथा महानिदेशक (ICAR) एवं अध्यक्ष, एजीआईएन (AgIn), डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, डीडीजी (पशु विज्ञान), डॉ. प्रवीण मलिक, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, डॉ. अनिकेत सान्याल, निदेशक आईसीएआर-एनआईएचएसएडी (ICAR-NIHSAD), वाणिज्यिक फर्मों के प्रतिनिधि, आईसीएआर और एजीआईएन के अन्य अधिकारी शामिल हुए.
एवियन इन्फ्लूएंजा (avian influenza) को आमतौर पर ‘बर्ड फ्लू’ ('bird flu') के नाम से जाना जाता है. यह एवियन (पक्षी) इन्फ्लूएंजा (फ्लू) टाइप ए वायरस के इन्फेक्शन से होने वाली बीमारी है. संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार, यह वायरस आमतौर पर जंगली पक्षियों में विशेष रूप से पाया जाता है. वही यह घरेलू मुर्गी और अन्य पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है.
इसके अलावा, बर्ड फ्लू से इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं. पिछले कुछ वर्षो में H9N2 वायरस के कारण मनुष्यों में संक्रमण फैलने के मामले हांगकांग के अलावा चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा मिस्र में भी देखे गए हैं. मनुष्यों में, H9N2 वायरस के इन्फेक्शन का पहला मामला वर्ष 1998 में हांगकांग में सामने आया था. वही इन्फ्लूएंजा के 11 वायरस हैं. इनमें से पांच वायरस- H5N1, H7N3, H7N7, H7N9 और H9N2 ऐसे हैं जो इंसानों को संक्रमित करने के साथ ही जानलेवा साबित हो सकते हैं.