टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट (TCI), PRAN संस्था और जैन इरिगेशन सिस्टम्स ने मिलकर बिहार के गयाजी जिले के नवादा गांव में 9 जून को एक नई एग्रीवोल्टाइक इंस्टॉलेशन का उद्घाटन किया है. यह बिहार की पहली ऐसी साइट है, जो खेती और सौर ऊर्जा दोनों का इस्तेमाल एक साथ करती है. इसमें खेतों के ऊपर सोलर पैनल लगाए जाते हैं और नीचे किसान फसल उगाते हैं, जिससे फसल उत्पादन के साथ-साथ बिजली भी बनती है और दोनों जरूरतें एक साथ पूरी हो जाती हैं.
इस इंस्टॉलेशन में 20 किलोवाट की सौर ऊर्जा से अनाज की चक्की और सिंचाई सिस्टम चलते हैं और ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों से पानी की बचत होती है. TCI की मदद से प्रोजेक्ट में शामिल होने वाले किसानों ने भी इसमें धन का निवेश किया है और अब सामूहिक रूप से इसके मालिक हैं. अब विश्वसनीय और सस्ती सिंचाई के कारण किसान सूखे मौसम में भी फसल उगा सकते हैं. वहीं, किसान इस इंस्टॉलेशन के तहत अनाज चक्की से अतिरिक्त कमाई भी कर पाएंगे.
इस साइट की सबसे अच्छी बात यह है कि किसान अब सूखे मौसम में भी फसल उगा पाएंगे और कम पानी में अच्छी खेती हो सकेगी. साथ ही इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा और पर्यावरण को फायदा के साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. वहीं, इसके भविष्य को लेकर बात करें तो वैज्ञानिक और रिसर्चर इस साइट की जांच और निगरानी करेंगे और देखेंगे कि यह मॉडल वास्तव में किसानों की आय और खेती को कितना बेहतर बनाता है. इसके आधार पर बिहार और भारत के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी तकनीक अपनाई जा सकती है.
TCI, PRAN और वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी बात रखी है. TCI के निदेशक प्रभु पिंगली ने कहा कि यह साइट बिहार में एग्रीवोल्टाइक और सतत कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो दिखाती है कि जलवायु-स्मार्ट तकनीकें उत्सर्जन में कमी और फसल उत्पादन दोनों के लिए लाभकारी हो सकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि किसान और नीति निर्माता इस परियोजना से सीख लेकर बिहार और पूरे भारत में एग्रीवोल्टाइक को अपनाने को प्रोत्साहित करेंगे. भविष्य में, TCI का लक्ष्य एग्रीवोल्टाइक प्रणालियों को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रमाण और जानकारी प्रदान करना है.
PRAN के निदेशक अनिल वर्मा ने कहा कि यह एक अनूठी परियोजना है, क्योंकि यह कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन को जोड़ती है, जिससे किसानों को विभिन्न अंतर-फसल डिजाइनों के साथ प्रयोग करने, पानी की बचत करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करते हुए अपनी जमीन से अधिक आय प्राप्त करने में मदद मिलती है. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले महीनों में PRAN की टीम किसानों और उनके परिवारों को विभिन्न प्रशिक्षण गतिविधियों के माध्यम से समर्थन देगी, ताकि इस एग्रीवोल्टाइक साइट की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके.