महाराष्ट्र के अकोला जिले के किसान ने ट्रैक्टर में एक ऐसी तकनीक लगाई है, जिससे वह मानव रहित हो गया है. यानी इस ट्रैक्टर को चलाने के लिए अब ड्राइवर की जरूरत नहीं है. यह ट्रैक्टर खुद ही खेत की जुताई कर देता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह जुताई करने के साथ-साथ बीजों की बुवाई भी करता है. फिलहाल यह ट्रैक्टर किसानों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है. इस ट्रैक्टर को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग रही है. वहीं, इस खास तकनीक के इजाद करने वाले किसान का कहना है कि इस ट्रैक्टर की मदद से इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई करना अब आसान हो गया है.
तकनीक के इजाद करने वाले किसान का नाम राजू वरोकर है. उनका और उनके परिवार का कहना है कि उन्होंने ट्रैक्टर में 'जीपीएस कनेक्ट' सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है. इसकी मदद से ट्रैक्टर को कंट्रोल किया जाता है. अभी वे 'जीपीएस कनेक्ट' सॉफ्टवेयर का उपयोग करके मानव रहित ट्रैक्टर से सोयाबीन की बुआई कर रहे हैं. वरोकर ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में पहली बार जर्मन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस तकनीक से एक लाइन में सीधी बुआई होती है. ऐसे में किसानों के लिए यह काफी उपयोगी साबित हो रहा है.
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राजू वरोकर का कहना है भारत में खेती में श्रम शक्ति की बहुत अधिक जरूरत होती है. खेती के लिए हर छोटी सी छोटी बात पर मजदूर को लगाना पड़ता है. चाहे खेती की जुताई हो या फिर फसलों की बुवाई. लेकिन इस ट्रैक्टर के आने से लोगों को राहत मिलेगी. साथ ही खेती में लागत भी कम लगेगी. उनकी माने तो इस मानव रहित ट्रैक्टर को कंट्रोल करना काफी आसान है, क्योंकि इसमें ऑटो पायलट सोविंग टेक्नोलॉजी लगा हुआ है. अभी अकोला के वरोकार किसान परिवार अपने खेत में इसका प्रयोग कर रहा है, जो पूरी तरह से सफल रहा है.
राजू वरोकर की माने तो इस ट्रैक्टर से खेत में बुआई करने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती है. इस ट्रैक्टर में जर्मन तकनीक 'आरटीके' उपकरण लगाया गया है. इस डिवाइस को खेत के एक तरफ रखना होगा. डिवाइस को 'जीपीएस कनेक्ट' के जरिए ट्रैक्टर से जोड़ा जाता है. खास बात यह है कि इसके लिए किसानों को 4.5 से 5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. भविष्य में इस प्रयोग के माध्यम से कृषि विभाग अब अधिक से अधिक किसानों को यांत्रिक बुआई कराने की पहल करेगा.
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