हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (AHU) के वैज्ञानिकों ने धान कूटने की एक नई मशीन बनाई है. यह मशीन थ्रेशर मशीन है जिससे धान कुटाई में मदद मिलेगी. यह मशीन 50 एचपी ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है. मतलब ये हुआ कि इस मशीन को 50 एचपी के ट्रैक्टर में लगा कर चलाया जा सकता है. इस थ्रेशर मशीन में ड्रायर भी लगा है जो चावल को सुखाने में मदद करता है. इस ड्रायर में 18 सिरेमिक इंफ्रारेड हीटर लगा हुआ है. हर ड्रायर 650 वॉट की बिजली खपत करता है. इस मशीन से एक घंटे में 150 किलो धान की कुटाई होती है. साथ ही इस मशीन की कीमत 6 लाख रुपये है.
वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पॉलिशर के साथ धान की कुटाई करने वाली थ्रेशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी. मशीन का आविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग की अगुवाई में किया गया है. इस मशीन को भारत सरकार की ओर से प्रमाण-पत्र मिल गया है जिसकी पेटेंट संख्या 536920 है.
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चावल लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है. ऐसे में अब इस थ्रेशर के आने के बाद किसान खेत में ही मशीन का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा सकेंगे, भूसी निकाल सकेंगे. इसके अलावा भूरे और सफेद चावल के लिए पॉलिश कर सकेंगे. आपको बता दें कि पहले किसानों को धान से चावल निकालने यानी धान कुटवाने के लिए मिल में जाना पड़ता था. अभी तक खेत में ही चावल निकालने की कोई मशीन नहीं थी, लेकिन अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस को खेतों में ही निकाल सकते हैं.
सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं क्योंकि यह किसी रिफाइन या पॉलिश प्रक्रिया से नहीं गुजरता है. सिर्फ इसके ऊपर से धान के छिलके उतारे जाते हैं. इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है. साथ ही यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत हैं. इसके अलावा ब्राउन राइस खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है. यह मधुमेह, वजन और हड्डियों को तंदुरुस्त रखने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.