नाबार्ड ने कृषि के क्षेत्र में नए-नए प्रयोगों के लिए बड़ी पहल की है. इसमें नाबार्ड ने यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम यानी कि UNDP के साथ एक करार किया है. इसके अंतर्गत नाबार्ड और यूएनडीपी के बीच एक एमओयू पर दस्तखत किया गया है. इस करार के तहत कृषि क्षेत्र में डेटा आधारित इनोवेशन किए जाएंगे जिससे किसानों को फायदा मिल सके. इन दोनों संगठनों में हुए एमओयू का मकसद है देश के हर छोटे-बड़े किसान की जिंदगी में सुधार लाना. यह तभी होगा जब किसान तकनीक आधारित खेती करेंगे और अधिक उपज लेंगे.
किसानों और कृषि से जुड़े डेटा को खेती की पॉलिसी में इस्तेमाल किया जा सकेगा. इससे कृषि की नई नीतियां बनाने में मदद मिलेगी. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएनडीपी, आईसीएआर, इक्रीसैट, इंडिया डेटा पोर्टल, एग्री यूनिवर्सिटीज, बैंक और बिजनेस कॉरेसपोंडेंट नेटवर्क से डेटा जुटाया जाएगा. इसके बाद नाबार्ड और यूएनडीपी उस डेटा पर काम करेंगे और किसानों के लिए नीतियां बनाने में मदद करेंगे. इसके अलावा नाबार्ड ब्लूमबर्ग, नेक्सेंसस, इंडिया स्टार्ट और सीएमआईई से भी डेटा जुटा रहा है.
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अलग-अलग एजेंसियों से मिले डेटा को नाबार्ड इस्तेमाल करेगा. इस डेटा को कोई आम इंसान भी देख सकेगा. चूंकि यह डेटा ओपन सोर्स में होगा, इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए सुलभ होगा. इसका बड़ा फायदा ये होगा कि एक ही प्लेटफॉर्म पर किसानी से जुड़े सभी डेटा मिल जाएंगे. उन आंकड़ों का इस्तेमाल रिसर्च के लिए भी किया जा सकेगा. इन आंकड़ो का फायदा कई स्तरों पर मिलेगा. कई बार किसानों को खेती और फसलों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती. ऐसे में बिना जानकारी खेती करने से किसानों को नुकसान होता है.
किसानों को इन आंकड़ों की मदद से फसल, मौसम, मिट्टी और नई-नई वैरायटी के बारे में जानकारी मिलेगी. इस जानकारी के आधार पर वे फसलों की खेती कर सकेंगे. इससे उनकी खेती वैज्ञानिक और तकनीक आधारित होगी. इसमें फसलों के मारे जाने की आशंका कम होगी. किसान को यह भी पता चल सकेगा कि उसकी फसल को कब और कितनी सिंचाई की जरूरत है. फसल को कितनी खाद चाहिए और उसकी कटाई का सही वक्त क्या होगा. ये जानकारी सुनने में छोटी भले लगे, लेकिन किसानों को बहुत मदद करेगी.
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जलवायु परिवर्तन से जुड़े बदलावों पर भी डेटा जुटाया जा रहा है. इससे पता चलेगा कि जलवायु बदलने से फसलों पर क्या प्रभाव है. इससे फसलों को नुकसान से बचाया जा सकेगा. जलवायु परिवर्तन को देखते हुए कृषि की नीतियां बनाने में इन आंकड़ों की मदद ली जा सकेगी. नाबार्ड और यूएनडीपी के एमओयू से और भी कई नई बातें निकल कर सामने आएंगी.