क्‍या है ट्रैक्टरों के लिए होने वाला वॉटरप्रूफिंग टेस्‍ट, कैसे किसानों के लिए है फायदेमंद 

क्‍या है ट्रैक्टरों के लिए होने वाला वॉटरप्रूफिंग टेस्‍ट, कैसे किसानों के लिए है फायदेमंद 

वॉटरप्रूफिंग टेस्ट से यह सुनिश्चित करेगा कि उनके ट्रैक्टर न केवल टिकाऊ हों, बल्कि मुश्किल परिस्थितियों में भी मजबूती से काम करें. धान की खेती में खेत पानी से लबालब भरे रहते हैं. इन परिस्थितियों में ट्रैक्टरों के इंजन, गियरबॉक्स और इलेक्ट्रिकल पार्ट्स पर लगातार पानी का दबाव पड़ता है. इस टेस्ट को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने तैयार किया है. खास बात यह है कि ये नए नियम अंतरराष्‍ट्रीय नियमों, खासकर OECD Code 2, के तहत हैं.

Waterproofing Test Tractors Waterproofing Test Tractors
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 03, 2025,
  • Updated Sep 03, 2025, 4:34 PM IST

खरीफ सीजन में धान सबसे अहम फसल होती है. किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही रहती है कि पानी से भरे खेतों में उनकी मशीनें कितनी देर तक बिना खराब हुए काम कर पाएंगी. इसी चिंता के समाधान के मकसद से सरकार ने इस साल से एक खास टेस्‍ट का अनिवार्य कर दिया है. कृषि उपकरणों के आधुनिकीकरण और उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए अब ‘पडलिंग’ में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टरों के लिए वॉटरप्रूफिंग टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. 

क्‍या होता है वॉटरप्रूफिंग टेस्ट?

धान की खेती भारतीय किसानों की रीढ़ है. पानी से लबालब खेतों में मेहनत करते हुए किसान हमेशा भरोसेमंद उपकरणों की तलाश में रहते हैं. वॉटरप्रूफिंग टेस्ट से यह सुनिश्चित करेगा कि उनके ट्रैक्टर न केवल टिकाऊ हों, बल्कि मुश्किल परिस्थितियों में भी मजबूती से काम करें. धान की खेती में खेत पानी से लबालब भरे रहते हैं. इन परिस्थितियों में ट्रैक्टरों के इंजन, गियरबॉक्स और इलेक्ट्रिकल पार्ट्स पर लगातार पानी का दबाव पड़ता है. 

कई बार यह नमी मशीन की कार्यक्षमता को कम कर देती है या अचानक खराबी का कारण बन जाती है. वॉटरप्रूफिंग टेस्ट इसी समस्या को रोकने के लिए बनाया गया है. इस टेस्ट में ट्रैक्टर को पानी से भरे टैंकों या आर्द्र परिस्थितियों में चलाकर जांचा जाता है. साथ ही यह देखा जाता है कि इंजन, बैटरी और अन्य इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स में पानी का लीकेज तो नहीं हो रहा. 

इसके अलावा चेक किया जाता है कि गियर और ब्रेक सिस्टम की परफॉर्मेंस पानी में डूबे रहने के बावजूद स्थिर बनी रहती है या नहीं. लंबे समय तक पानी के संपर्क में आने के बाद भी मशीन कितनी सुरक्षित और टिकाऊ रहती है, यह भी इस टेस्‍ट का हिस्‍सा है. अगर ट्रैक्टर इन सभी स्‍टैंडर्ड में पास होता है तो ही उसे वॉटरप्रूफिंग टेस्ट में पास माना जाएगा. 

अंतरराष्‍ट्रीय स्‍टैंडर्ड के बराबर  

इस टेस्ट को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने तैयार किया है. खास बात यह है कि ये नए नियम अंतरराष्‍ट्रीय नियमों, खासकर OECD Code 2, के तहत हैं. यानी भारतीय किसान अब ऐसी मशीनें इस्तेमाल कर पाएंगे जो दुनिया के अन्य देशों में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टरों के बराबर क्वालिटी और सुरक्षा मानक रखती हैं. 

किसानों को होगा सीधा फायदा

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से ट्रैक्टरों की विश्वसनीयता और कार्यक्षमता दोनों में सुधार होगा. धान की खेती के अलावा दूसरी नमी वाली कृषि गतिविधियों—जैसे गन्ना, दलहन और सब्जियों की कुछ किस्मों की खेती, में भी किसानों को फायदा मिलेगा. लंबे समय तक मशीन खराब न होने से उनका मरम्मत खर्च बचेगा और पैदावार बढ़ेगी. 

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