
आज का दौर तकनीक और AI बेस्ड है. खेती करने वाले किसानों को आधुनिक तकनीकियों की समझ होनी चाहिए ताकि वे अधिक और गुणवत्ता में बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें. इस खबर में आपको खेती की एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको अपनाकर आप खाद-पानी, मेहनत की बचत कर सकते हैं साथ ही पौधों और फलों की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी हो जाती है. इस तकनीक का नाम मल्चिंग है, आइए इसके बारे में और अच्छे से समझ लेते हैं.
मल्चिंग खेती की एक आधुनिक तकनीक है जिसमें फसल उगाते समय मिट्टी की सतह को सूखी घास, पत्तियां, या फिर प्लास्टिक शीट की परत से ढक दिया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी में नमी बनाए रखना, खरपतवार नियंत्रण करना और तापमान संतुलित रखना होता है. खेतों की जुताई के बाद मल्चिंग की जाती है. इसके लिए बाजारों में एक खास तरह की प्लास्टिक शीट आती है जिसे ट्रैक्टर या हाथ की मदद से बिछाया जाता है. आइए इससे होने वाले फायदों के बारे में जान लेते हैं.
बहुत से किसानों को लगता है कि ये मल्चिंग के पीछे क्यों खर्च करें? आपको बता दें कि मल्चिंग आज के दौर की जरूरत है. पारंपरिक खेती की बजाय मार्डन फार्मिंग का जरूरी हिस्सा है. आपको बता दें कि इससे आपको एक दो नहीं बल्कि कई फायदे एक साथ मिलते हैं.
मल्चिंग के फायदे जानने के बाद आप ये जान चुके होंगे कि आधुनिक खेती के दौरान मल्चिंग अब खास जरूरत हो गई है. अगर आप अपने खेत में प्लास्टिक शीट वाली मल्च लगाना चाहते हैं तो इसके लिए प्रति एकड़ ₹ 10,000–₹ 25,000 तक खर्च होने की संभावना है. आपको बता दें कि हर साल नई मल्चिंग कराना होता है, लेकिन इस तकनीक से खेती करना कभी भी घाटे का सौदा नहीं है.