एक आंकड़े के अनुसार भारत में हर साल लगभग 620 मिलियन टन खेती से अपशिष्ट पैदा होता है. मगर इसमें से केवल 25 से 30 प्रतिशत अपशिष्ट का ही सही ढंग से चारे और ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग हो पाता है. यही वजह है कि फार्म वेस्ट का अनुचित तरीक से निपटान, जिसमें पराली जलाना सबसे प्रमुख है, वायु प्रदूषण और पर्यावरण क्षरण में सबसे बड़े कारक बनते हैं. लिहाजा इसी समस्या को निपटाने का ग्रुनर रिन्यूएबल एनर्जी ने बीड़ा उठाया है और अब ये रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी एगटेक क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है. इसके लिए ग्रुनर ग्रुप ने किसानी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड (KUPL) की शुरुआत की है.
बता दें कि ग्रुनर रिन्यूएबल एनर्जी, देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों में से एक है. ग्रुनर ने इस नए काम में 1 मिलियन डॉलर (8.58 करोड़ रुपये) का निवेश किया है, जिसमें कंपनी डिजिटल इनोवेशन पर काम करेगी. किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध, 'किसानी ऊर्जा' अत्याधुनिक तकनीक और डेटा-संचालित समाधानों को एकीकृत करती है. ये कंपनी फसल की पैदावार को अनुकूल करने और इसके अपशिष्ट प्रबंधन को सही से व्यवस्थित करने की दिशा में काम करेगी. साथ अहम कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए 'किसानी ऊर्जा' कदम बढ़ाएगी.
किसानी ऊर्जा प्राइवेट लिमिटेड (KUPL) का मकसद कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किफायती समाधान, किसानों को सशक्त बनाकर और स्थिरता को बढ़ावा देकर इन चुनौतियों का समाधान करना है. एक अंग्रेजी अखबर, 'बिजनेस लाइन' में छपी खबर के अनुसार, ग्रूनर ग्रुप के संस्थापक और सीईओ उत्कर्ष गुप्ता ने कहा, "डिजिटल इनोवेशन को जमीनी स्तर की कृषि जरूरतों के साथ एकीकृत करके, हमारा लक्ष्य भारत के कृषक समुदायों के लिए एक स्वच्छ, हरित और अधिक समृद्ध भविष्य बनाना है."
ये कंपनी धान के भूसे और दूसरे कृषि अवशेषों के टिकाऊ संग्रह और प्रबंधन में विशेषज्ञता रखती है. साथ ही किसानों को पारंपरिक अपशिष्ट के निपटान के तरीकों के लिए एक पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करती है. किसानों की सहायता करके अगली फसल के लिए खेतों को साफ करना इसके अहम मकसदों में से एक है. साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को लागू करके पर्यावरण संरक्षण करना भी कंपनी के उद्देश्यों में शामिल है.
बता दें कि ग्रुनर ग्रुप की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि फीडस्टॉक स्टोरेज को और अधिक कारगर बनाने के लिए, KUPL ने किसानी मोबाइल ऐप पेश किया है. ये ऐप एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो किसानों को कंपनी की सेवाओं से सहजता से जोड़ता है. 'किसानी ऐप' किसानों को उनके उपलब्ध फीडस्टॉक को रजिस्टर करने और लिस्ट करने की सुविधा देता है, ताकि अवशेष स्टोर के लिए त्वरित और टेंशन फ्री शेड्यूलिंग सुनिश्चित हो सके.
ये कंपनी किसानों को कृषि अपशिष्ट से कमाई करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के साथ ही उनकी आय के अवसरों को बढ़ाने में मदद करती है. इस तकनीकी-संचालित दृष्टिकोण के माध्यम से, KUPL कृषि अपशिष्ट को एक मूल्यवान संसाधन में बदल रही है, जिससे भारत के कृषि क्षेत्र के लिए अधिक टिकाऊ और लाभदायक भविष्य को बढ़ावा मिल रहा है.
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