Direct Paddy Sowing: ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई: कम खर्च में बंपर पैदावार!

Direct Paddy Sowing: ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई: कम खर्च में बंपर पैदावार!

धान की खेती में बढ़ती लागत और मजदूरों की कमी किसानों के लिए बड़ी चुनौती है. ड्रम सीडर इस समस्या का शानदार समाधान है. इससे Direct Paddy Sowing: नर्सरी तैयार करने और रोपाई का झंझट नहीं रहता जिससे अधिक उपज मिलती है और फसल 10 दिन पहले पक जाती है. पद्मश्री किसान सेठपाल सिंह के अनुभव से, इस तकनीक से प्रति एकड़ 4000-5000 रुपये तक की बचत होती है, जबकि उत्पादन में कोई कमी नहीं आती. ड्रम सीडर धान की खेती को कम लागत में अधिक लाभदायक बनाने का एक प्रभावी तरीका है.

क्या है ड्रम सीडरक्या है ड्रम सीडर
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 13, 2025,
  • Updated Jun 13, 2025, 6:10 AM IST

Direct Paddy Sowing: धान की खेती में लगातार बढ़ती लागत किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है. मजदूरों की कमी और उनकी बढ़ती मजदूरी ने धान की रोपाई को और भी मुश्किल बना दिया है. पारंपरिक तरीके से धान की खेती करना किसानों के लिए काफी मेहनत भरा और महंगा काम होता है, क्योंकि इसमें पहले धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है और फिर मुख्य खेत में एक-एक पौधे की रोपाई करनी होती है, जिसमें काफी समय और पैसा लगता है. इन समस्याओं का समाधान ड्रम सीडर के रूप में सामने आया है. ड्रम सीडर का उपयोग करके किसान न केवल अपना समय बचा सकते हैं, बल्कि पैसों की भी अच्छी बचत कर सकते हैं.

क्यों करें ड्रम सीडर से धान की बुवाई?

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्रोनॉमी के प्रधान वैज्ञानिक, राजीव कुमार सिंह का कहना है कि अगर किसान रोपाई की जगह छिटकवां विधि से धान की बुवाई करते हैं, तो खेत में उगे हुए पौधे एक समान नहीं उगते हैं, जिससे अच्छी उपज नहीं मिल पाती है. वहीं, ड्रम सीडर से बुवाई करने पर बीज एक समान अंकुरित होते हैं, जिससे उपज भी बेहतर मिलती है. इस तकनीक में कदवा किए गए खेतों में सीधी बुवाई की जाती है, जिससे नर्सरी उगाने और रोपाई के काम से छुटकारा मिल जाता है और पैसे की काफी बचत होती है.

ड्रम सीडर से धान बुवाई का सही समय

कृषि वैज्ञानिक सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर 6 प्लास्टिक के डिब्बों से बना एक यंत्र है. इस मशीन से एक बार में 6 से लेकर 12 कतारों में बीज की बुवाई की जा सकती है. ड्रम सीडर से अंकुरित धान की सीधी बुवाई मॉनसून आने से पहले, जून महीने की शुरुआत में ही कर लेनी चाहिए. यदि मॉनसून आने के बाद खेत में जरूरत से ज्यादा जल भराव हो जाता है, तो धान के बीज का समुचित विकास नहीं हो पाता है. वैसे, जून के अंतिम सप्ताह तक इस यंत्र से धान की बुवाई की जा सकती है.

दो व्यक्ति इस यंत्र का उपयोग करके एक दिन (8 घंटे) में 2.5 एकड़ की बुवाई आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए, बीज को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोएं. इसके बाद इसे जूट के बोरे से ढककर 24 घंटे के लिए रखकर अंकुरित करें. इस बात का खास खयाल रखें कि बीज का अंकुरण ज्यादा न होने पाए. मशीन में बीज डालने से पहले, उन्हें आधा घंटा छांव में सुखाएं.

ड्रम सीडर बुवाई के लिए खेत की तैयारी

कृषि वैज्ञानिक सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर से धान की बुवाई के लिए मध्यम या नीची जमीन बेहतर होती  है. बुवाई से 1 महीने पहले खेत में 2 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी खाद डालें. बुवाई से 15 दिन पहले खेत की सिंचाई और कदवा करें, ताकि खरपतवार सड़ जाए. बुवाई के 1 दिन पहले खेत को फिर से कदवा करें और समतल बना लें. 

बुवाई के समय कदवा किए खेत में पानी जमा नहीं रहना चाहिए, जरूरत से ज्यादा पानी निकाल दें. उन्होंने बताया कि ड्रम सीडर से लगाए गए धान में किस्मों के अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश क्रमशः 32, 16 और 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डालें. फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत में पानी निकलने के बाद और अंतिम पाटा चलाने से पहले डालें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा 10 दिन के बाद और बाकी आधी मात्रा दो बराबर हिस्सों में बांटकर कल्ले फूटने और बाली निकलने पर डालें.

ड्रम सीडर से बुवाई के लाभ

  • कम लागत और अधिक उपज: इस विधि में प्रति हेक्टेयर कम मजदूरों की जरूरत होती है.
  • नर्सरी की तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए नर्सरी तैयार करने का समय और खर्च बचता है.
  • कम सिंचाई की जरूरत के कारण पानी की बचत होती है.
  • छिटकवां विधि की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा उपज. इसमें बीज एक समान अंकुरित होते हैं जिससे पैदावार बढ़ती है.
  • बीज को कतार से बोने की सुविधा: फसल की बढ़वार अच्छी होती है.
  • फसल जल्दी पकती है: रोपे गए धान की तुलना में फसल 10 दिन पहले पक जाती है, जिससे अगली फसल की तैयारी के लिए अधिक समय मिलता है.
  • बीज की बचत क्योंकि सही और नियंत्रित बुवाई से बीज की बर्बादी कम होती है.

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