Cotton Farming: कपास की खेती में क्रांति, Wadhwani AI ने कीटनाशकों की खपत 20 फीसद घटाई!

Cotton Farming: कपास की खेती में क्रांति, Wadhwani AI ने कीटनाशकों की खपत 20 फीसद घटाई!

Wadhwani AI का लक्ष्य है कि वह छोटे किसानों को आधुनिक तकनीकों से लैस करके उनकी पैदावार बढ़ाए और खेती को सुरक्षित और लाभकारी बनाए. CottonAce प्रोग्राम इसकी एक सफल मिसाल है, जो यह दिखाता है कि सही तकनीक और जानकारी से किसान कम लागत में बेहतर परिणाम पा सकते हैं.

AI in Cotton FarmingAI in Cotton Farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 04, 2025,
  • Updated Jun 04, 2025, 12:40 PM IST

कपास की खेती में कीटनाशकों की अधिक मात्रा का उपयोग ना सिर्फ लागत बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. इसी समस्या का समाधान निकाला है Wadhwani AI ने अपने CottonAce प्रोग्राम के ज़रिए. आपको बता दें कि कपास की फसलों में कीटों का हमला बहुत आम बात है. जिसके कारण इस खेती को करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इतना ही नहीं, कई किसान तो अब कपास की खेती भी छोड़ चुके हैं. ऐसे में वाधवानी एआई ने किसानों की मदद के लिए यह बड़ा कदम उठाया है.

Wadhwani AI क्या है?

Wadhwani AI एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसे भारतीय-अमेरिकी टेक उद्यमियों रोमेश और सुनील वाधवानी ने 2018 में शुरू किया था. यह संस्था आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का उपयोग करके छोटे किसानों की समस्याओं को हल करने का काम कर रही है.

CottonAce प्रोग्राम की सफलता

Wadhwani AI ने CottonAce नामक एक AI आधारित समाधान विकसित किया है, जिसे अब तक 11 कपास उत्पादक राज्यों में करीब 21,000 किसानों द्वारा अपनाया जा चुका है. इस प्रोग्राम की मदद से किसानों ने कीटनाशकों के उपयोग में 20% की कमी और उत्पादन में 10-11% की बढ़ोतरी देखी है.

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CottonAce कैसे करता है काम?

CottonAce दो मुख्य कीटों - अमेरिकन बॉलवर्म और पिंक बॉलवर्म - पर फोकस करता है. AI तकनीक से लैस यह प्रणाली:

  • खेतों में कीटों की पहचान करती है,
  • उनकी तीव्रता को मापती है,
  • और किसानों को समय पर सलाह देती है कि कौन से उपाय अपनाने चाहिए.

इसका एक खास फीचर है AI आधारित फेरोमोन ट्रैप, जो पिंक बॉलवर्म को पहचानकर उसकी संख्या का आकलन करता है और उसी के अनुसार सुझाव देता है.

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नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (NPSS) में शामिल

CottonAce की सफलता को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने इसे नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (NPSS) में शामिल कर लिया है. अब यह तकनीक सिर्फ कपास ही नहीं, बल्कि धान, मक्का और मिर्च जैसी फसलों पर भी काम कर रही है.

डेटा से मॉडल तक की यात्रा

जब Wadhwani AI ने काम शुरू किया, तो उन्हें एहसास हुआ कि कीट और बीमारियों से जुड़ा जरूरी डेटा ICAR या कृषि मंत्रालय के पास नहीं है. इसके बाद संस्था ने खुद डेटा कलेक्शन सिस्टम तैयार किया जिससे 2023 और 2024 में जरूरी जानकारी जुटाई गई.

अन्य तकनीकी समाधान

Wadhwani AI ने कई और तकनीकें विकसित की हैं जैसे:

  • ग्रेन एनालाइज़र फॉर सोयाबीन
  • टेक्स्ट टू वॉइस और वॉइस टू टेक्स्ट डेटा कलेक्शन
  • किसानों के लिए AI चैटबॉट - Kisan e-Mitra

Kisan e-Mitra चैटबॉट की मदद से किसान PM-KISAN, फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी सरल हिंदी में प्राप्त कर सकते हैं.

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