भारत में सबसे अधिक उत्पादन सफेद बटन मशरूम (Button Mushroom), ऑयस्टर मशरूम, दूधिया मशरूम का होता है. सफेद बटन मशरूम भारत में सबसे अधिक उगाया जाने वाला मशरूम है. इसका स्वाद लाजवाब होता है और इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं. भारत में इसका उपयोग सब्जियों से लेकर पिज्जा और पास्ता तक के व्यंजनों में व्यापक रूप से किया जाता है. हमारे देश में बटन मशरूम (एगारिकस बिस्पोरस) भारत में सबसे लोकप्रिय मशरूम है, जो देश के कुल मशरूम उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत योगदान देता है. लेकिन अधिकांश बटन मशरूम किस्मों में भूरापन और छिलके का जल्दी खुलना प्रमुख समस्या है. मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के कृषि वैज्ञानिकों ने बटन मशरूम की एक नई किस्म एनबीएस 5-59 की खोज की है जो कई मायनों में बटन मशरूम की अन्य किस्मों से बेहतर है.
मशरूम अनुसंधान सोलन के निदेशालय के मुख्य वैज्ञानिक डॉ.श्वेत कमल ने किसान तक को बताया कि मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन द्वारा बटन मशरूम की एक नई किस्म एनबीएस 5-59 विकसित की गई है. बटन मशरूम एक ऐसी किस्म है कि कोई भी अन्य बटन मशरूम सभी गुणवत्ता मानकों में मौजूदा किस्मों से बेहतर है. देश में बटन मशरूम की दो सबसे लोकप्रिय किस्मों एनबीएस-5 की औसत उपज 18.80 प्रतिशत यू-3 और 18.41 प्रतिशत है, जबकि बटन मशरूम एनबीएस5-59 किस्म की औसत उपज (बीई) 19.46 प्रतिशत है. यानी एक किलो कंपोस्ट खाद में औसतन 19.46 किलोग्राम बटन मशरूम होता है. इसकी गुणवत्ता सभी किस्मों से बेहतर होती है.
डॉ. श्वेत कमल ने बताया कि इस किस्म का बटन मशरूम किस्म एनबीएस 5-59 का विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में तीन वर्षों तक परीक्षण किया गया है. उन्होंने बताया कि अधिकांश बटन मशरूम की खेती पर्यावरणीय कारकों और बटन मशरूम की उपज गुणवत्ता से प्रभावित होती है, लेकिन इस किस्म का देश भर में विभिन्न स्थानों पर परीक्षण किया गया है जिसके अच्छे रिजल्ट मिले हैं. जीएक्सई इंटरेक्शन द्वारा परीक्षण किए गए सभी वातावरणों में इसने बेहतर परिणाम दिए हैं.
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ड श्वेत कमल ने बताया कि इस किस्म की मुख्य विशेषताएं ये हैं कि यह अधिक उपज देती है, साथ ही यह मशरूम विल्कुल सफेद रंग का होता है .उन्होंने बताया कि मशरूम में लगने वाले रोग भुरड़ रोग के प्रति ये किस्म प्रतिरोधी है. इस किस्म के बटन मशरूम में दूसरे किस्मों की तुलना में ज्यादा शुष्क तत्व पाया जाता है. इसके गिल बहुत पतले और देर से खुलते हैं. इससे इसकी क्ववालिटी खराब नही होती है.
दूसरे मशरूम में जितनी लागत आती है, उसी खर्च में बटन मशरूम की नई किस्म अधिक उपज देती है. इसकी क्वालिटी बढ़िया कलर के कारण मशरूम खाने वाले ग्राहकों को आकर्षित करती है. इससे इनपुट लागत होने के कम साथ किसान की आय में वृद्धि होती है. इससे किसान की आजीविका और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. उन्होंने बताया कि किसान अगर इस किस्म के मशरूम की खेती करते हैं तो लाभ का दायरा बढ़ जाएगा. डॉ श्वेत कमल के अनुसार लागत का लाभ अनुपात 40 फीसदी आ रहा है.
डॉ श्वेत कमल के अनुसार, बटन मशरूम का उत्पादन बहुत ही लाभदायक कृषि सह-व्यवसाय है. इसे किसानों और बेरोजगार युवाओं द्वारा अतिरिक्त आय के स्रोत के रूप में आसानी से अपनाया जा सकता है. मशरूम एक इनडोर फसल है, इसलिए इसके लिए किसी कृषि योग्य भूमि की जरूरत नहीं होती है. इसकी खेती के लिए गैर-कृषि भूमि की जरूरत होती है. मशरूम की खेती मौसम पर आधारित होती है और जलवायु नियंत्रित ग्रीनहाउस में की जाती है. इसके लिए बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है.
देश में बटन मशरूम खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. उत्पादन की दृष्टि से बटन मशरूम दुनिया में सबसे ज्यादा उगाया जाता है. मैदानी और पहाड़ी भागों में श्वेत बटन मशरूम को जाड़े के मौसमं में उगाया जाता है क्योंकि इस सीजन में तापमान कम और हवा में नमी अधिक होती है. इस मशरूम के उत्पादन के लिए कवक जाल फैलाव के दौरान 22-25 डिग्री सेल्सियस और फलन के समय 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है और 80-85 प्रतिशत नमी की जरूरत पड़ती है.
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जाड़े के मौसम के शुरू से अंतिम तक इस तापमान और नमी को आसानी से बनाए रखा जा सकता है. दूसरी फसलों के विपरीत मशरूम को कमरों या झोपड़ियों में उगाया जाता है जहां उपर बताए गए तापमान और नमी बनाई जा सके. मशरूम उगाने की शुरुआत एक 10’X10’X12 मीटर के कमरे से की जा सकती है. आजकल वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप मशरूम को कृत्रिम ढंग से तैयार की गई खाद (कंपोस्ट) पर उगाया जा रहा है. सफेद बटन मशरूम उगाने के लिए कंपोस्ट तीन विधियों से तैयार की जाती है. इन विधियों में पहली छोटी विधि, दूसरी लंबी विधि और तीसरी इंडोर विधि है. किसान अपने लागत खर्च के अनुसार इन विधियों में किसी एक का चुनाव कर बेहतर लाभ कमा सकते हैं.