डबल इंजन सरकार का नया विजन! मेक इन इंडिया से “मेड इन बिहार” तक का सफर

डबल इंजन सरकार का नया विजन! मेक इन इंडिया से “मेड इन बिहार” तक का सफर

बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" विजन को साकार करने वाला यह कारखाना अब "मेक इन बिहार-मेक फॉर द वर्ल्ड" के मंत्र को प्रतिध्वनित कर रहा है. पहली बार भारत के किसी राज्य से लोकोमोटिव इंजन का निर्माण कर वैश्विक बाजार के लिए निर्यात किया जा रहा है.

Bihar will export engines for the global marketBihar will export engines for the global market
क‍िसान तक
  • Patna,
  • Jun 18, 2025,
  • Updated Jun 18, 2025, 10:20 AM IST

बिहार के छपरा जिले का मढ़ौरा, जो कभी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में दर्ज था, अब भारत की औद्योगिक क्रांति के नए अध्याय में शामिल हो रहा है. यहां के वेबटेक डीजल लोकोमोटिव कारखाने ने न सिर्फ भारतीय रेलवे को नई ऊर्जा दी है, बल्कि अब यह प्लांट भारत को वैश्विक लोकोमोटिव निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर है. जो न सिर्फ पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के विजन को मूर्त रूप देगा, बल्कि सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के सपने को भी साकार करेगा.

वेबटेक ने बनाएं 729 डीजल इंजन

यह कारखाना वैबटेक इंक और भारतीय रेलवे का संयुक्त उपक्रम है, जिसमें वैबटेक की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है और रेलवे की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 2018 में स्थापित इस प्लांट ने अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बनाए हैं. इनमें 4500 एचपी के 545 इंजन और 6000 एचपी के 184 इंजन शामिल हैं. इस प्लांट के वैश्विक लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के बाद इसकी क्षमता कई गुना बढ़ने वाली है.

बिहार, वैश्विक बाजार के लिए करेगा इंजन निर्यात 

बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" विजन को साकार करने वाला यह कारखाना अब "मेक इन बिहार-मेक फॉर द वर्ल्ड" के मंत्र को प्रतिध्वनित कर रहा है. पहली बार भारत के किसी राज्य से लोकोमोटिव इंजन का निर्माण कर वैश्विक बाजार के लिए निर्यात किया जा रहा है. 26 मई 2025 को दक्षिण अफ्रीका के गिनी के तीन मंत्रियों ने प्लांट का दौरा किया था. इसके बाद 140 लोकोमोटिव इंजन का सौदा फाइनल हुआ. जिसे "कोमो" नाम दिया गया. यह सौदा करीब 3000 करोड़ रुपये का है. मढ़ौरा के लिए यह महज एक व्यापारिक समझौता नहीं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की नई भूमिका का प्रमाण है.

अब स्थानीय से वैश्विक हुआ लोकोमोटिव यूनिट

226 एकड़ में फैले इस कारखाने में न केवल लोकोमोटिव का निर्माण होता है, बल्कि स्थानीय रोजगार और आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूती मिलती है. लगभग 40-50 प्रतिशत कलपुर्जे भारत के विभिन्न राज्यों - महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, जमशेदपुर - से आते हैं, जबकि कुछ विशेष इंजन अमेरिका से आयात किए जाते हैं. लेकिन अब बढ़ते निर्यात ऑर्डर और वैश्विक मानक गेज इंजनों की मांग को देखते हुए यह संयंत्र अपनी क्षमता विस्तार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

बिहार वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर उभरेगा

यह परियोजना न केवल भारत की उत्पादन शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह बिहार जैसे राज्य को औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी बनाएगी. इससे न केवल स्थानीय युवाओं को तकनीकी रोजगार मिलेगा, बल्कि स्थानीय आपूर्तिकर्ता नेटवर्क भी मजबूत होगा. साथ ही भारत को पहली बार डीजल इंजनों के क्षेत्र में वैश्विक निर्यातक बनने का अवसर भी मिलेगा. यह बिहार के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी. जो पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकसित बिहार के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगी.

दुनिया के लिए दौड़ेगा लोकोमोटिव

मढ़ौरा का इंजन अब सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए चलेगा- यही है मेक इन बिहार की असली ताकत! ये सिर्फ एक कारखाने की सफलता नहीं है, बल्कि बिहार के टैलेंट, भारत की टेक्नोलॉजी और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव का प्रमाण है.

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