
भारत में करीब 70% लोग खेती पर निर्भर हैं. खेती सिर्फ खाने के लिए नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी और देश की सुरक्षा का भी आधार है. लेकिन खेती में कई मुश्किलें हैं- जैसे छोटे खेत, मौसम के अचानक बदलाव, सही सुविधाओं की कमी, कम पैदावार और कीमतों में उतार-चढ़ाव. इसलिए अगर भारत 8% की अर्थव्यवस्था बढ़ाना चाहता है, तो खेती को हर साल 4% बढ़ना होगा.
आजकल नए-नए स्टार्टअप्स खेती में बहुत बदलाव ला रहे हैं. स्टार्टअप्स ऐसे छोटे बिजनेस होते हैं जो नई और स्मार्ट आइडियाज के साथ काम करते हैं. पिछले दस साल में भारत में कृषि स्टार्टअप्स की संख्या 50 से बढ़कर 7,000 से ज्यादा हो गई है. इसका मतलब सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि यह है कि लोग अब खेती को सिर्फ जमीन में फसल उगाने का काम नहीं मानते, बल्कि इसे डेटा और तकनीक से जोड़कर एक स्मार्ट बिजनेस बना रहे हैं.
तेलंगाना में नई तकनीक की मदद से किसानों ने अपनी मिर्च की पैदावार 21% बढ़ाई, कीटनाशक का इस्तेमाल 9% कम किया और उर्वरक का इस्तेमाल 5% कम किया. इसके अलावा, फसल की गुणवत्ता बढ़ने से कीमत भी 8% बढ़ गई.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से किसानों को फसल बढ़ाने और खर्च कम करने में मदद मिलती है. रिपोर्ट बताती है कि जब सरकार, स्टार्टअप्स और किसान मिलकर काम करते हैं, तभी तकनीक सही तरीके से काम करती है.
हालांकि, कुछ मुश्किलें हैं- जैसे स्टार्टअप्स के लिए निवेश कम हो रहा है और कुछ बिजनेस बंद भी हो रहे हैं. भविष्य में नई तकनीक को अपनाने के लिए और सहयोग, रिसर्च और निवेश की ज़रूरत है.
खेती अब सिर्फ जमीन पर काम करने का नाम नहीं है. नई तकनीक और स्टार्टअप्स से यह स्मार्ट, डेटा-आधारित और लाभदायक व्यवसाय बन रही है. अगर सभी मिलकर काम करें, तो किसानों की जिंदगी और देश की अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत हो सकते हैं.
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