Bio capsule: कैप्सूल खाकर पौधे रहेंगे स्वस्थ, फसल से मिलेगी 30 फीसदी अधिक पैदावार

Bio capsule: कैप्सूल खाकर पौधे रहेंगे स्वस्थ, फसल से मिलेगी 30 फीसदी अधिक पैदावार

कैप्सूल खाकर अभी तक इंसान अपनी बीमारियों को ठीक कर रहे थे लेकिन अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के इस संस्थान ने एक बायो कैप्सूल को विकसित किया है जिसको पौधों को देने के बाद उसे कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी. यहां तक कि यह जैव उर्वरक का भी काम करेगा.

धर्मेंद्र सिंह
  • Varanasi ,
  • Feb 13, 2024,
  • Updated Feb 13, 2024, 1:14 PM IST

कैप्सूल खाकर अभी तक इंसान अपनी बीमारियों को ठीक कर रहे थे, लेकिन अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के इस संस्थान ने एक बायो कैप्सूल को विकसित किया है जिसको पौधों को देने के बाद उसे कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी. यहां तक कि यह जैव उर्वरक का भी काम करेगा. इस कैप्सूल की मदद से किसानों को अपनी फसलों को कम मात्रा में उर्वरक देने की आवश्यकता होगी. अभी तक बाजार में इस कैप्सूल में पाए जाने वाले ट्राइकोडर्मा, सूडोमोनास लिक्विड और पाउडर के रूप में उपलब्ध थे लेकिन इसे भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा इसे कैप्सूल के रूप में तैयार किया है. एक कैप्सूल काफी बड़ी एरिया के लिए प्रभावी है. यहां तक कि 15 से 20 कैप्सूल की मदद से एक एकड़ का काम किया जा सकता है. इस बायो कैप्सूल को देने से पौधे स्वस्थ होंगे और जमीन भी उपजाऊ होगी.

पौधे खाएंगे अब कैप्सूल, देंगे भरपूर उत्पादन

भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने एक खास तरह का कैप्सूल तैयार किया है. फिलहाल बायो कैप्सूल के नाम से इसका पेटेंट भी संस्थान ने कराया है. यह कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हो चुका है. एक कैप्सूल को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव किया जाता है. इस कैप्सूल से ट्राइकोडर्मा और सूडोमोनास मिलते हैं. रायजोबैक्टीरिया फॉर्मूलेशन पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले जैव उर्वरक हैं. उन्होंने किसान तक को बताया कि 15 से 20 कैप्सूल 1 एकड़ फसल के लिए पर्याप्त होते हैं. इस कैप्सूल को देने से खेत की जमीन उपजाऊ होगी और फसलों से ज्यादा पैदावार मिलेगी. वहीं दूसरी तरफ खेत में रासायनिक उर्वरक की खपत कम होगी.

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बायो कैप्सूल के फायदे

भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव ने बताया कि इस कैप्सूल की मदद से जमीन में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होगी. इससे मिट्टी भी उपजाऊ बनेगी. यह मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ाता है. उन्हें जैविक रूप से फायदा पहुंचाता है. जैव उर्वरकों में कवक, बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव होते हैं. जैसे-जैसे यह मिट्टी में बढ़ते हैं, इससे पौधे का अच्छा विकास होता है और उनका उत्पादन भी बढ़ता है. इस कैप्सूल से 30 परसेंट तक उपज में वृद्धि होती है. अन्य उर्वरक की तुलना में पौधों के लिए यह कैप्सूल नाइट्रोजन और फास्फोरस को अधिक मात्रा में अवशोषण करने में मदद करता है. इस कैप्सूल की मदद से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और जड़ें मजबूत होती हैं. इस कैप्सूल का उपयोग कोई भी किसान बड़े ही आसानी से कर सकता है. इस कैप्सूल की मदद से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है.

100 रुपये में मिलता है बायो कैप्सूल

बायो कैप्सूल काफी सस्ता है. बाजार में एक कैप्सूल की कीमत लगभग 100 रुपये तक है. वहीं कई कंपनियों के द्वारा इसे अलग-अलग नाम से बेचा भी जा रहा है. डॉ राजीव ने बताया कि रूस जैसे देश ने भी उनकी टेक्नोलॉजी को लिया है. 1000 से 1500 रुपये तक की कीमत में एक एकड़ खेत को बायो कैप्सूल से पोषण दिया जा सकता है.

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