मछली पालन और उत्पादन के क्षेत्र में अब झारखंड काफी आगे बढ़ रहा है. इसके पीछे यहां के युवा किसानों की मेहनत छिपी हुई है जो काफी उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद स्टार्टअप के तौर पर इस व्यवसाय को अपना रहे हैं और इसे नयी ऊंचाईयों तक पहुंचा रहे हैं. पढ़े लिखे युवाओं के इस क्षेत्र में आने का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि इस क्षेत्र में अब पारंपरिक के साथ नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. इससे उत्पादन बढ़ा है. कमाई बढ़ी है साथ ही पानी का सही इस्तेमाल भी हो रहा है. तकनीक के इस्तेमाल से देशी के अलावा अन्य प्रजातियों की मछलियों का भी उत्पादन यहां पर हो रहा है. मत्स्य किसान दिवस पर बात करते हैं रांची जिले के एक ऐसे ही मत्स्य किसान कि जिन्होंने मछली पालन को अपनाया और आज एक्वा टूरिज्म को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में रोजगार के नए विकल्प प्रदान कर रहे हैं साथ ही मछली पालन में नई संभावनाओं को भी जोड़ रहे हैं.
किंगफिशरीज के नाम से फार्म का संचालन करने वाले निशांत कुमार रांची के ऐसे युवा हैं जिन्होंने मछली पालन में एक्वा टूरिज्म को शामिल किया और इसे औऱ बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. एक छोटे से टैंक से उन्होंने 2018 में मछली पालन की शुरुआत की थी. पर आज उनक पास एशिया का अपनी तरह का पहला फार्म है जहां पर मछली पालन की पांच अलग-अलग तकनीकों का पालन किया जाता है. इसमें 98 एकड़ में फैला विशाल डैम है जहां पर केज कल्चर के जरिए मछली पालन किया जाता है. इसके अलावा किंगफिशरीज के फार्म में 74 बॉयोफ्लॉक टैंक हैं, ओटोमेटेड आऱएएस है, साथ ही तालाब भी हैं.
एक्वा टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए फार्म परिसर में रहने के लिए रिसॉर्ट बना हुआ है. यहां पर छोटानागपुर फन कैसल पार्क भी है, साथ ही वाटर किंगडम भी बना हुआ है. जहां पर आने के बाद लोग अपने परिवार केसाथ मस्ती कर सकती है. इसके साथ ही मत्स्य पालन की अलग-अलग तकनीक की जानकारी भी यहां पर हासिल कर सकते हैं. मत्स्य पालन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए निशांत कुमार को वर्ष 2021-22 के लिए डॉ हीरालाल चौधरी बेस्ट फार्मर का अवार्ड दिया गया है. निशांत इस अवार्ड को लेने वाले झारखंड के पहले किसान हैं.
निशांत बताते हैं कि वो शुरु से ही एक्वाकल्चर के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने से एमबीए करने के बाद मछली पालन को चुना. इसके बाद उन्हें समझ में आया की मछली पालन में आगे बढ़ने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी है. आज वो इस क्षेत्र में दुनिया की बेहतरीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा एक्वा टूरिज्म को प्रमोट कर रहे हैं ताकि लोगों को जल और उसके महत्व के बारे में बताया जा सके. इनके फार्मे में देश दुनिया से भी नॉलेज शेयरिंग के लिए साइंटिस्ट और किसान आते हैं. जैसे अब तक इनके फार्म में मिस्त्र, ओमान, नेपाल, बांग्लादेश जैसं देशों से लोग जानकारी हासिल करने के लिए आ चुके हैं.