सूखे की मार झेल रहे झारखंड के किसानों को अब ठगने का भी प्रयास किया जा रहा है. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देने के नाम पर प्रलोभन दिया जा रहा है और पैसे मांगे जा रहे हैं. इससे झारखंड के भोले-भाले किसानों के ठगे जाने का खतरा बढ़ गया है. झारखंड में ऑनलाइन ठगी कोई नई बात नहीं है. पर आम तौर पर व्यवसायी या दूसरे प्रोफेशन्लस ऑनलाइन ठगी का शिकार होते थे. पर अब ठगो नें किसानों को टार्गेट किया है. किसान सॉफ्ट टार्गेट इसलिए है क्योंकि सूखे से परेशान किसान कहीं से भी राहत की उम्मीद कर रहे हैं और ऐसे में उनके पास आने वाले फोन कॉल से वो ठगी का शिकार आसानी से हो सकते हैं.
किसान तक के पास उपलब्ध फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर बोकारो जिला के चंद्रपुरा प्रखंड अंतर्गत पबलो गांव के किसान मुकेश महतो ने बताया कि उनकेपास तीन अगस्त को एक फोन आया था. फोन करने वाले ने कहा कि मुकेश के नाम पर एक ट्रैक्टर का इंजन और सोलर पंप सरकारी योजना के तहत आवंटित किया गया है. इस योजना का लाभ लेने के लिए उन्हें पेपर वर्क के लिए 19500 रुपये जमा करने होंगे. इसके बाद मुकेश के अंकाउंट में पैसे मिल जाएंगे.
जब मुकेश ने फोन करने वाले से यह पूछा की पैसे कहां जमा करने होंगे तब उसने कहा कि ऑनलाइन जमा करने होंगे और अगर वो ऑनलाइन पैसे जमा नहीं करते हैं तो एडमिशन फीस के लिए 3500 रुपये ऑनलाइन जमा करना होगा. फोन करने वाले जोर दकर ऑनलाइन जमा करने के लिए कहा. इसके बाद मुकेश ने कहा कि वो सभी पैसे कैश जमा करेंगे ऑफिस का एड्रेस बताया जाए. फिर खुद को फंसता देख उसने फोन रख दिया जो आ तक स्विच ऑफ बता रहा है. धनबाद जिले के रहने वाले एक अन्य किसान सुनील कुमार ने भी किसान तक से बातचीत में यही बात बतयी.
राज्य के किसानों के पास आ रहे इस तरह के फर्जी फोन कॉल्स को लेकर झारखंड किसान महासभा से कार्यकारी अध्यक्ष पंकज रॉय ने कहा कि इस तरह के मामले राज्य में होना बेहद चिंता की बात है. किसान सीधे-साधे होते है और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते हैं इसलिए वो आसानी से इन साइबर ठगों का शिकार बन सकते हैं. ऐसे में किसानों को इस बारे में जागरूक करने की जरुरत है. सूखे का समय चल रहा है ऐसे में किसान कही से भी मदद की आस कर रहा है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कृषि विभाग को तत्काल इस पर कार्रवाई करना चाहिए और फिर किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए.
वहीं ओफाज के निदेशक अशोक कुमार सिन्हाने कहा कि किसानों से ठगी करने वाला गिरोह पूरी तरह से सक्रिय है. विभागीय कार्रवाई को लेकर उन्होंने कहा कि विभाग के इतना मैनपावर और तकनीक नहीं है कि वो साइबर ठगो के पीछे जा सके. इसके लिए किसानों को जागरूक होना होगा. उन्होंने बताया कि आत्मा की बैठक में किसानों को इसके बारे में जानकारी दी जाती है. इसके अलावा उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो किसी भी प्रकार से फोन कॉल के आधार पर वित्तीय लेन-देन नहीं करें. विभाग कभी भी उनसे पैसे की मांग नहीं करता है. अगर किसी योजना के लाभ के लिए किसान को अपना अंशदान भी दिना होता है तो डीडी के तौर पर उसे बैंक विभागीय ऑफिस में जमा करना होता है. उन्होंने बताया कि पीएम किसान, पीएम कुसुम और सूखा राहत योजना जैसे प्लेटफॉर्म से ये साइबर ठग किसानों का डाटा जमा करते हैं और फोन करते हैं.