किसान नेता राकेश टिकैत ने एक खास इंटरव्यू में केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि आज स्थिति ऐसी है कि सभी किसानों का आज राजनीतिक दलों से मोहभंग हो गया है. मंगलवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए खास इंटरव्यू में टिकैत ने जनता से अपील की कि वो आगामी लोकसभा चुनावों में सही उम्मीदवारों को वोट देकर अपने विवेक की आवाज सुनें. टिकैत का यह इंटरव्यू ऐसे समय में आया है जब किसान आंदोलन को दो महीने पूरे हो चुके हैं और 19 अप्रैल से आम चुनावों की शुरुआत हो रही है.
किसी भी राजनीतिक दल को खुला समर्थन देने से इनकार करते हुए, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता टिकैत ने कहा कि वह अपनी पत्नी को भी यह नहीं बताएंगे कि आदर्श आचार संहिता लागू होने पर किसे वोट देना है. लेकिन जो लोग उन्हें जानते हैं वे पहले से ही जानते हैं कि कौन सी पार्टी या उम्मीदवार किसानों के लिए अच्छा है. राकेश टिकैत साल 2020-2021 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए पहले आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे. टिकैत इंटरव्यू में यह दावा भी किया है कि लोग भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को वोट नहीं दे रहे हैं. लेकिन पार्टी प्रक्रिया में हेरफेर करके जीत सकती है.
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उन्होंने दावा भी किया कि आज की बीजेपी सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी ही नहीं है बल्कि यह उन अमीर उद्योगपतियों का मुखौटा बन गई है जो किसानों की जमीन हड़पना चाहते हैं. किसानों का मोहभंग हो गया है, लेकिन वो निराश नहीं हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या किसानों और जाट समुदाय का बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद सहित सभी दलों से मोहभंग हो गया है, तो उन्होंने जवाब दिया , 'वे अपना वोट डालेंगे और विरोध में शामिल होने के लिए वापस आएंगे.'
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टिकैत ने कहा कि किसान अपनी अंतरात्मा की आवाज पर किसी को भी वोट दे सकते हैं लेकिन उन्हें आंदोलन के साथ बने रहना होगा. उन्होंने चुनावों में नोटा के विकल्प को खारिज कर दिया. उनका कहना था कि नोटा का बटन केवल वे ही दबाते हैं जिन्होंने कोई उम्मीद खो दी है. यह पूछे जाने पर कि किसानों और उनके समुदाय के लिए उनकी क्या सलाह होगी, प्रमुख जाट नेता ने कहा, हमने लोगों से कहा है कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करें.
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उन्होंने कहा, "उस उम्मीदवार को वोट दें जो आपको सही लगे, जो आपकी बात सुने और फिर 'आंदोलन' पर वापस आएं.' जो उम्मीदवार लड़ रहे हैं, उनसे हमने कहा है कि अगर आप अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना से 24 घंटे पहले 100 ट्रैक्टर और एक हजार लोग इकट्ठा कर सकते हैं, तो आप जीत जाएंगे. टिकैत ने जोर देकर कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके संगठन ने साल 2014 में बीजेपी का समर्थन किया था. हालांकि उन्होंने कुछ व्यक्तिगत उम्मीदवारों का सपोर्ट जरूर किया था.
उन्होंने यह भी कहा कि उस समय मुख्य विपक्षी दल के तौर पर बीजेपी ने किसानों से कई वादे किये थे और उम्मीद थी कि वे कुछ बदलाव लाएंगे. जब कोई पार्टी विपक्ष में होती है तो वे लोगों की आवाज उठाते हैं. जब कांग्रेस सत्ता में थी तो हम उनका विरोध कर रहे थे, उन्होंने (बीजेपी) कई वादे किये, वे बैठकों में हमारे साथ होते थे. उनका कहना था कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में मुआवजा और पारदर्शिता को आगे बढ़ाने में विपक्ष की प्रमुख भूमिका थी. उनके मुताबिक उन्होंने सोचा था कि बीजेपी के रूप में एक बेहतर सरकार आएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.