कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनावों में अमेठी से किशोरी लाल शर्मा यानी केएल शर्मा को टिकट दिया है. 25 वर्षों में पहली बार गांधी परिवार का कोई भी सदस्य उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र अमेठी में चुनाव नहीं लड़ेगा. यह वह जगह है जो पिछले कई दशकों जो लंबे समय से गांधी परिवार का गढ़ रहा है. सन् 1967 से 1970 और 1990 के दशक के कुछ सालों को छोड़कर, अमेठी का प्रतिनिधित्व गांधी परिवार के सदस्य द्वारा किया गया है. हालांकि साल 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लग गई जब भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,000 से अधिक वोटों से हरा दिया था.
साल 2014 में राहुल गांधी ने लगातार तीसरी बार अमेठी की लोकसभा सीट जीत थी. उस चुनाव में राहुल को 4,08,651 वोट मिले थे. आखिर बार सन् 1998 में यहां से किसी नॉन-गांधी ने चुनाव लड़ा था. उस समय कांग्रेस ने सतीश शर्मा को टिकट दिया था. हालांकि वह सन् 1991 के उपचुनाव में भी यहीं से लड़े थे. सन् 1998 में सतीश शर्मा अमेठी से चुनाव हार गए थे. उस समय उन्हें बीजेपी के संजय सिंह ने मात दी थी.
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इसके बाद 1999 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो आठ साल के बाद गांधी परिवार का सदस्य अमेठी लौटा जब सोनिया गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान पार्टी ने किया. साल 2004 में राहुल गांधी ने अमेठी से ही अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था. राहुल को पहले ही चुनाव में जीत हासिल हुई थी. साल 2019 तक राहुल यहां से सांसद थे. लेकिन उस साल हुए चुनावों में स्मृति ईरानी ने 55,000 वोटों से हरा दिया था.
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अमेठी सीट से कांग्रेस ने जिस किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया है, वह सोनिया गांधी के करीबी हैं. मूल रूप से लुधियाना, पंजाब के रहने वाले के एल शर्मा लंबे समय से रायबरेली में सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि के रूप में काम करते आए हैं. करीब चार दशक से अमेठी, रायबरेली में संगठन का काम कर रहे के एल शर्मा को राजीव गांधी के जमाने में सरकार के काम का प्रचार प्रसार करने यूपी भेजा गया और तब से वह यहीं बस गए.
2004 में जब राहुल गांधी ने पहली बार अमेठी से पर्चा भरा तब केएल वहां मौजूद थे और अब बीस साल बाद उसी अमेठी से राहुल की जगह चुनाव लड़ने जा रहे हैं.अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर पार्टी केएल शर्मा को टिकट देकर इस बार अपनी सीट बचाने में कामयाब हो पाती है या नहीं.