देश में धीरे-धीरे किसानों और सरकार के बीच से बिचौलियों की भूमिका खत्म की जा रही है. ऐसे राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है. देश के किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए बिचौलियों की मदद लेते थे. ताकि उनकी फसलें सही समय पर बिक सके और पैसा मिल सके. इसमें बिचौलिए भी अपना हिस्सा बनाते थे, लेकिन अब यूपी में बिचौलियों का काम तमाम हो गया है, जिसके बाद किसान सीधे अपनी फसल बेच रहे हैं.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उनकी सरकार ने 2017 से किसानों की फसलों को बिचौलियों से बचाने के लिए ई-प्रोक्योरमेंट पॉलिसी लाकर सीधे तौर पर खरीदना शुरू कर दिया है. सरकार ने किसानों से डायरेक्ट धान, गेहूं, दलहन, तिलहन और मक्का की फसलों को खरीदना शुरू किया. जिससे किसानों को बिचौलियों से छुटकारा मिले और उन्हें अधिक फायदा मिले.
अपने एक संदेश में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दहलन उत्पादन वाली ग्राम पंचायतों में फसल प्रर्दशनी का आयोजन होगा. दहलन के प्रदर्शनी में प्रतिवर्ष 14,293 एवं चार वर्षों में 57,172 कृषक लाभान्वित होंगे. योजना में किसानों के विकास के लिए 120 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उत्तर प्रदेश गेहूं, धान, दलहन और तिलहन का प्रमुख उत्पादक है. डायरेक्ट खरीद से किसानों को फायदा मिल रहा है.
ई-प्रोक्योरमेंट एक बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) तंत्र है, जिसमें इंटरनेट पर उत्पादों और सेवाओं की बिक्री और लेनदेन की जाती है. ज्यादातर राज्यों में इसी के जरिए अब उत्पादों की खरीद हो रही है. जिसमें आढ़तियों की भूमिका काफी हद तक खत्म हो गई है. इन फसलों की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में भेजा जा रहा है. जिससे किसान खुश हैं. पहले उन्हें आढ़तियों के जरिए पैसा मिलता था.
अब फसल बेचने के लिए किसानों को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. हर फसल का प्रति एकड़ औसत उत्पादन निर्धारित है. उसी हिसाब से सरकार उतनी मात्रा किसान से खरीदती है. खरीदने के बाद सीधे उसका पैसा किसानों के बैंक अकाउंट में चला जाता है. अब न तो बिना रजिस्ट्रेशन किसी फसल की खरीद होती है और न ही और के माध्यम से किसानों को पैसा मिलता है.
उत्तर प्रदेश गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है. यहां पर वर्तमान खरीद वर्ष में लगभग 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं एमएसपी पर खरीदा जा चुका है. साल 2021-22 के दौरान उत्तर प्रदेश में 56.41 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. बात करें सरसों की तो इस साल अब तक 819 मीट्रिक टन की खरीद हुई है. इसी तरह 8496 मीट्रिक टन चना खरीदा गया है. जबकि 2022-23 में 15 मई तक 65.50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया