देश में 15 फरवरी से ही जायद की फसल की तैयारी शुरू हो जाती है. गर्मी में खाई जाने वाली सब्जियां जायद के सीजन में ही उगाई जाती हैं. किसान फरवरी महीने में ही तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, लौकी, तोरई की नर्सरी तैयार करते हैं. मार्च के अंत तक फसलों की बुवाई हो जाती है जिसके बाद अप्रैल महीने से इन फसलों की पैदावार किसानों को मिलने लगती है. जायद के सीजन में किसानों को अपनी फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि इन दिनों फंगस से लेकर फसल पर अलग-अलग तरह के कीटों का आक्रमण होता है. इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए कीट रोग विशेषज्ञ डॉ निर्वेश सिंह ने किसानों को सलाह दी है. उन्होंने बताया कि किसान को सब्जी की नर्सरी के लिए जमीन को तैयार करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि फसल को जमीन के कीड़ों से सबसे ज्यादा खतरा होता है.
जायद की प्रमुख फसलों में कद्दू वर्गीय सब्जी के अंतर्गत लौकी, कद्दू,खीरा और तरबूज की नर्सरी किसान फरवरी में ही तैयार करते हैं. हॉर्टिकल्चर विभाग के प्रमुख कीट रोग विशेषज्ञ डॉ निर्वेश सिंह ने 'किसान तक' से बात करते हुए बताया कि जायद की फसलों की नर्सरी तैयार करते हुए किसानों को जमीन पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए.
नि्र्वेश सिंह कहते हैं, भूमि को तैयार करते समय ट्राइकोडरमा और नीम के तेल को मिलाना चाहिए. इसके लिए ढाई किलोग्राम ट्राइकोडरमा को 70 किलो गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ जमीन की तैयारी की जानी चाहिए. वहीं, जमीन में नीम की खली को भी मिला लें जो दीमक रोधी का काम करती है. किसानों को जमीन तैयार करते समय इसमें कार्बैंडाजोल भी मिला लेना चाहिए. फिर इस मिट्टी में ही पौधों की नर्सरी की बुवाई करनी चाहिए जिससे इन पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से बचाव होता है.
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जायद की फसल के अंतर्गत आने वाली सब्जियों के पौधों पर कई तरह के कीट का संक्रमण होता है. कीट रोग विशेषज्ञ डॉ निर्वेश सिंह ने बताया कि कीट सबसे पहले पौधों की मुलायम पत्तियों को अपना निशाना बनाते हैं. चूसक कीट पत्तियों के रस को चूस लेते हैं जिससे पौधे सूखने लगते हैं. वही एक दूसरा कीट जिसे रेड पंपकिन बीटल कीट कहते हैं, वह सबसे ज्यादा हानिकारक होता है. यह कीट पत्ती को काटता हुआ चलता है. कीट से बचाव के लिए किसानों को बायोपेस्टिसाइड के रूप में नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए. किसान को 10 से 15 एमएल नीम के तेल को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद भी अगर कीट नियंत्रण न हो तो मेलाथियान का प्रयोग कर सकते हैं.
कीट विज्ञानी डॉ निर्वेश सिंह ने बताया कि जिन सब्जियों पर कीटनाशक का प्रयोग किसान करते हैं, उनको एक सप्ताह बाद ही तोड़कर बाजार ले जाएं या उसका सेवन करें. एक सप्ताह के बाद सब्जियों में कीटनाशक का प्रभाव कम हो जाता है जो हमारी सेहत को कम से कम नुकसान पहुंचाएगा. अगर तुरंत इन सब्जियों को तोड़कर प्रयोग करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान सेहत पर होगा.