आलू की फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप, किसानों के लिए एडवाइजरी जारी, जानें- बचाव का तरीका

आलू की फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप, किसानों के लिए एडवाइजरी जारी, जानें- बचाव का तरीका

Potato Farming: आलू की फसल में इस रोग के संक्रमण के कारण पौधे की पत्तियों का किनारा सूख जाता है. किसान रोग की पहचान के लिए इस पत्ती के सूखे भाग को रगड़ कर देख सकते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से खर-खर की आवाज आती है.

सर्दी के मौसम में झुलसा रोगों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.सर्दी के मौसम में झुलसा रोगों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Dec 30, 2024,
  • Updated Dec 30, 2024, 4:51 PM IST

आलू की फसल में मौसम से जुड़े बदलावों के कारण झुलसा रोग के संक्रमण का खतरा रहता है. वहीं, कोहरा, नमी, और पाला इस खतरे को और अधिक बढ़ा देता है. इस समस्या को देखते हुए कानपुर स्थित चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Chandra Shekhar Azad University of Agriculture & Technology) के विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ एस के विश्वास में आलू फसल में पीछे की झुलसा रोग के प्रबंधन हेतु एडवाइजरी जारी की है.

वैज्ञानिकों का दावा है कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर जनपद में आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग आने की संभावना है. डॉ विश्वास ने बताया कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में आलू की फसल उगाई जाती है. यहां का आलू सब्जी एवं चिप्स आदि के लिए प्रयोग होता है. ऐसे में यहां पर यदि बीमारी आए तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

झुलसा के प्रबंधन का तरीका 

उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी झुलसा रोग नहीं आया है, वहां पर पहले ही मेंकोजेब, प्रोपीनेजब, कलोरोथेलोनील दवा का .25 प्रतिशत प्रति हजार लीटर की दर से छिड़काव तुरंत करें. इसके अलावा जिन क्षेत्रों में यह बीमारी आलू में लग चुकी है उनमें साइमोक्सेनिल, मेंकोजेब या फिनेमिडोन मैंकोजेब दवा को 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, इसमें स्टिकर अवश्य डालें. विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ एस के विश्वास ने  किसानों से कहा है कि वह इस प्रक्रिया को 10 दिन में दोहरा सकते हैं. उन्होंने किसानों को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वह फसलों में जरूरत से अधिक कीटनाशक का उपयोग नहीं करें.

ऐसे करें झुलसा रोग की पहचान

आलू की फसल में इस रोग के संक्रमण के कारण पौधे की पत्तियों का किनारा सूख जाता है. किसान रोग की पहचान के लिए इस पत्ती के सूखे भाग को रगड़ कर देख सकते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से खर-खर की आवाज आती है. इस तरह, किसान आसानी से फसल में इस रोग की पहचान कर सकते हैं. कई राज्यों में रात और शाम के दौरान तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है. इस तापमान में पछेती झुलसा रोग के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

 

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