Sugarcane Farming: गन्ने की इस किस्म से होती है इतनी कमाई कि घर तक बनवा लेते हैं किसान

Sugarcane Farming: गन्ने की इस किस्म से होती है इतनी कमाई कि घर तक बनवा लेते हैं किसान

Sugarcane Farming: Co 0238 या करण 4 एक ज्‍यादा उच्च उपज देने वाली किस्‍म है और इसमें चीनी की मात्रा भी ज्‍यादा होती है. इस फसल को Co LK 8102 और  Co 775 के क्रॉस से विकसित किया गया था. किस्‍म को शुगरकेन ब्रीडिंगइंस्‍टीट्यूट, रीजनल सेंटर करनाल में डेवलप किया गया था. इस किस्‍म को उत्‍तर-पश्चिम क्षेत्र (NWZ) में वाणिज्यिक खेती के लिए एक शुरुआती परिपक्व किस्म के तौर पर जारी किया गया था.

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jul 19, 2025,
  • Updated Jul 19, 2025, 10:12 AM IST

गन्‍ना देश की एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जिसकी खेती उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय दोनों क्षेत्रों सहित करीब 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र गन्‍ने के 55 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र का योगदान करते हैं.  वहीं गन्‍ने की एक किस्‍म ऐसी भी है जो पिछले 10 सालों में किसानों के लिए और चीनी मिलों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. इस किस्‍म को CO038 के तौर पर जाना जाता है. इस किस्‍म को कृषि वैज्ञानिक डाक्‍टर बक्‍शी राम यादव ने विकसित किया था और उन्‍हें 'शुगरमैन ऑफ इंडिया' के तौर पर भी जाना जाता है. 

इस किस्‍म से कमाया बंपर मुनाफा 

Co 0238 या करण 4 एक ज्‍यादा उच्च उपज देने वाली किस्‍म है और इसमें चीनी की मात्रा भी ज्‍यादा होती है. इस फसल को Co LK 8102 और  Co 775 के क्रॉस से विकसित किया गया था. किस्‍म को शुगरकेन ब्रीडिंगइंस्‍टीट्यूट, रीजनल सेंटर करनाल में डेवलप किया गया था. इस किस्‍म को उत्‍तर-पश्चिम क्षेत्र (NWZ) में वाणिज्यिक खेती के लिए एक शुरुआती परिपक्व किस्म के तौर पर जारी किया गया था. इस क्षेत्र में हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्य उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड और राजस्थान जैसे राज्य आते हैं. 

डॉक्‍टर बक्‍शी राम यादव ने जो किस्‍म विकसित की, वह आज देश के 50 फीसदी इलाके में उगाई जा रही है. यूं तो उन्‍हें गन्‍ने की 24 किस्‍मों को डेवलन करने का श्रेय दिया जाता है लेकिन यह किस्‍म किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. डॉक्‍टर बक्‍शी राम यादव की जानकारी के मुताबिक उन्‍होंने पिछले 10 सालों में जो अनुमान लगाया है, उसके तहत इस किस्‍म से 67000 करोड़ रुपये का फायदा चीनी मिल और किसानों को हुआ है. इसमें से 43000 करोड़ रुपये का फायदा अकेले किसानों को मिला है. जिस समय उनकी पोस्टिंग ICAR  के शुगरकेन डिपार्टमेंट कोयंबटूर में हुई, उसी समय उन्‍होंने इस किस्‍म को विकसित करने की दिशा में काम शुरू कर दिया था.  

क्‍यों यह किस्‍म है इतनी फेवरिट 

यह किस्म खेतों में बहुत तेजी से फैल रही है क्योंकि इसमें ज्‍यादा उपज और बेहतर जूस क्‍वालिटी दोनों ही मिलते हैं. इसलिए इसे किसानों और चीनी उद्योग दोनों ही काफी पसंद करते हैं. 2015-16 के दौरान, उत्‍तर भारत में कुल गन्‍ना क्षेत्रफल (21,77,802 हेक्टेयर) का करीब 20.5 फीसदी Co 0238 (4,47,459 हेक्टेयर) ने ही कवर किया हुआ था.  वहीं इस किस्‍म ने चीनी मिलों के घाटे को कुछ हद तक कम करने में भी मदद की है. साल 2014-15 के दौरान, Co 0238 के कारण सिर्फ उत्‍तर प्रदेश में ही किसानों और चीनी मिलों को 137.5 करोड़ का अतिरिक्त फायदा इस किस्‍म से हुआ था. 

फाइबर का भी होता है प्रयोग 

डॉक्‍टर बक्‍शी राम यादव के अनुसार चीनी के अलावा गन्‍ने की खोई यानी फाइबर का भी काफी प्रयोग आजकल हो रहा है. चीनी मिलें इसे को-जनरेशन यानी बिजली बनाकर उसे ग्रिड में सप्‍लाई करने लगी हैं. इसके लिए एक पार्टिकल बोर्ड भी बन रहे हैं. बाजार में अब गन्‍ने की खोई से बनी हुई कटलरी भी नजर आने लगी है. गन्‍ने को री-साइकिल करके कई तरह के उत्‍पाद बनाए जाने लगे हैं. हालांकि इस किस्‍म में अब कई तरह की बीमारियां भी सामने आने लगी हैं. लेकिन फिर भी  CO-0238 की पैदावार में कोई कमी नहीं आई है. डॉक्‍टर बक्‍शी राम यादव के अनुसार फसल में बीमारी लगाना एक बड़ा इश्‍यू है जिस पर रिसर्च जारी है. 

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