ईरान और इजरायल की जंग के बीच भारत में बासमती चावल निर्यातकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो ईरान को भारत की तरफ से होने वाला बासमती चावल निर्यात पिछले साल के 0.86 लाख टन (एमटी) के स्तर को छू सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि क्योंकि ईरान की तरफ से मांग-उत्पादन के अलावा शिपमेंट को आम तौर पर 100 डॉलर प्रति टन की छूट पर बेचा जाता है तो ज्यादा गिरावट की आशंका नहीं है. हालांकि अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ की मानें तो ईरान को निर्यात किए जाने वाला करीब 1,00,000 टन बासमती चावल पिछले कुछ दिनों से कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर फंसा हुआ है.
इजरायल-ईरान के बीच जारी संघर्ष में बासमती चावल बंदरगाहों पर अटक गया है. सप्ल टेक इंडस्ट्रीज, जगदंबा एग्रीको एक्सपोर्ट्स, शिव शक्ति इंटर ग्लोब एक्सपोर्ट्स और डीडी इंटरनेशनल ईरान को बासमती चावल निर्यात करने वाली कुछ प्रमुख भारतीय कंपनियां हैं. अखबार हिंदू बिजनेसलाइन ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि ईरान के खरीदारों ने निर्यातकों को साफ-साफ कह दिया है कि वो अपने रिस्क पर ही शिपमेंट भेजें. ईरान की कहना है कि इजरायल की तरफ से जारी मिसाइल हमलों और बमबारी के खतरे को देखते हुए डिलीवरी की गारंटी नहीं दी जा सकती है. वहीं भारत के खरीदारों ने पहले दिए गए ऑर्डरों को फिलहाल रोक रखा है.
एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से अखबार ने लिखा है कि ईरान में बासमती समेत चावल के आयात को परमिट के जरिये नियंत्रित किया जाता है और आम तौर पर घरेलू फसलों की कीमतों की सुरक्षा के लिए जुलाई-सितंबर के दौरान कोई परमिट जारी नहीं किया जाता है. इसलिए, जुलाई से पहले साइन हुए कॉन्ट्रैक्ट की खेप ही भेजी जाती है. चूंकि दोनों देशों के बीच संघर्ष जून के मध्य से ही बढ़ गया है, इसलिए कोई भी स्पष्ट फैसला तभी लिया जाएगा जब ईरान, अक्टूबर से नए परमिट की अनुमति देगा. अगर खेप देर से पहुंचती है और निर्यातक सितंबर तक भी कॉन्ट्रैक्टेड मात्रा की आपूर्ति करने में सक्षम होते हैं, तो कुल बासमती चावल निर्यात प्रभावित नहीं हो सकता है. सूत्रों का कहना है कि स्थिति इतनी अस्थिर है कि अभी कोई भी स्पष्ट नजरिया नहीं दिया जा सकता है.
एक एक्सपोर्टर ने कहा कि ईरान ने पिछले सात सालों में अपने घरेलू चावल (गैर-बासमती) उत्पादन में 0.7 मीट्रिक टन की वृद्धि कर डाली है. इससे कुछ वर्षों में मात्रा में काफी कमी आई है. ईरान ने साल 2018-19 में भारत से रिकॉर्ड 1.48 मीट्रिक टन बासमती चावल का आयात किया था. हालांकि, यह अभी भी कम है और सुगंधित बासमती चावल की क्वालिटी वहां एक पसंदीदा फूड प्रॉडक्ट है. एक्सपोर्टर की मानें तो अगर गिरावट आती भी है, तो यह बहुत मामूली होगी और निर्यात पिछले साल के करीब हो सकता है.
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