तुअर दाल जिसे उत्तर भारत के कई राज्यों में अरहर दाल के तौर पर भी जाना जाता है, उसकी कीमतों में गिरावट आने की खबरें हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के कलबुर्गी और महाराष्ट्र के लातूर जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस दाल की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ गई हैं. तीन साल में यह पहला मौका है जब तुअर या अरहर दाल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. दाल की कीमत में गिरावट से उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है.
अखबार बिजनेस लाइन ने हितधारकों के हवाले से लिखा है कि तुअर और पीली मटर जैसी दालों के बढ़ते आयात से कीमतों पर असर पड़ रहा है. जबकि चालू खरीफ 2025 सीजन के लिए बुवाई आगे बढ़ती दिख रही है. लातूर में दाल प्रोसेसिंग करने वाली कंपनी कलंत्री फूड प्रोडक्ट्स के सीईओ नितिन कलंत्री ने बताया कि एवेरज क्वालिटी वाली तुअर दाल 89-90 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में है जबकि सबसे अच्छी क्वालिटी वाली दाल 104-105 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. उनका कहना था कि कमजोर मांग और पर्याप्त आपूर्ति के कारण तुअर दाल की मौजूदा कीमतों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.
नितिन का कहना था कि मौजूदा कीमतें 2022 के बाद से सबसे कम हैं. उन्होंने बताया कि घरेलू उत्पादन में कमी के कारण पिछले दो सालों में दालों की कीमतें बढ़ गई थीं. लेकिन अब इसमें नरमी आई है क्योंकि सरकार ने दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आयात खोल दिया है. तुअर के आयात के लिए ड्यूटी फ्री अवधि मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है. वित्त वर्ष 2025 के दौरान, भारत का तुअर आयात बढ़कर 12.23 लाख टन से अधिक हो गया, जो पिछले वर्ष के 7.71 लाख टन से 59 प्रतिशत अधिक है. नितिन ने कहा कि इस समय तुअर दाल सबसे ज्यादा बिकाऊ है और बाजार कमजोर हो चुका है. आने वाले त्यौहारी सीजन में जब मांग बढ़ेगी तो शासद कीमतों में इजाफा हो. अगले कुछ दिनों में तुअर की खपत में भी इजाफा होने की उम्मीद है क्योंकि मॉनसून में सब्जियों की सप्लाई कुछ हद तक प्रभावित हो जाती है.
वहीं कर्नाटक के दाल उत्पादक संघ के प्रेसीडेंट बसावराज इंगिन ने कहा है कि आयात के चलते तुअर दाल और पीली मटर की कीमतों में गिरावट हुई है. दूसरी ओर किसान नए सीजन की शुरुआत से पहले इसे लिक्विडेट करने में लगे हैं. इस वजह से भी कीमतों पर असर पड़ रहा है. इंगिन का कहना है कि कम कीमत पर उपलब्ध तुअर दाल की वजह से इसके उपभोग पर भी असर पड़ रहा है.
सरकार ने खरीफ 2025 के सीजन के लिए दालों पर न्यूनतम समर्थन कीमत या एमएसपी का ऐलान किया हुआ है. आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर सरकार इसे खरीद रही है. इंगिंन का कहना है कि सरकार को खरीद की अवधि को बढ़ाना चाहिए था इससे किसानों को फायदा होता. उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार जून 2025 तक तुअर दाल का औसत खुदरा मूल्य 122.45 रुपये प्रति किलोग्राम था जबकि एक साल पहले इसी समय पर यह 161.3 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही थी.
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