पिछले साल गर्मी और हीट वेव के चलते गेहूं की फसल पर बहुत अधिक असर पड़ा था. लेकिन इस बार किसान पहले से ही सचेत हो गए हैं. अधिकांश किसान जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अधिक गर्मी और हीट वेव सहन करने वाली गेहूं की किस्मों की बुवाई कर रहे हैं. इससे गेहूं के रकबे में सप्ताह दर सप्ताह बढ़ोतरी हो रही है. 22 दिसंबर तक किसानों ने 30.86 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की. हालांकि, इसके बावजूद पिछले साल के मुकाबले गेहूं का रकबा अभी कम है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि जिन क्षेत्रों में धान की रोपाई देरी से की गई थी, वहां पर किसान इसकी कटाई करने के बाद अभी भी गेहूं की बुवाई कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं का रकबा पिछले साल के स्तर पर पहुंच सकता है.
कृषि मंत्रालय के अनुसार, गेहूं मुख्य रबी फसल है, जिसकी बुआई आम तौर पर नवंबर में शुरू होती है और कटाई मार्च-अप्रैल में की जाती है. चालू रबी सीजन में 22 दिसंबर तक गेहूं का बुआई क्षेत्र 30.86 मिलियन हेक्टेयर था, जो कि एक साल पहले की अवधि के 31.44 मिलियन हेक्टेयर से थोड़ा कम है. वहीं, कृषि आयुक्त पीके सिंह का कहना है कि पिछले साल गेहूं उत्पादक किसानों को गर्मी और हिट वेव की समस्या का सामना करना पड़ा था. ऐसे में सरकार ने इस साल जलवायु के अनुकूल गेहूं की किस्मों को बढ़ावा दिया और कुल फसल क्षेत्र के 60 प्रतिशत को कवर करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि लेकिन हमने लक्ष्य को पार कर लिया है. क्योंकि अब तक 60 प्रतिशत से अधिक फसल क्षेत्र में गर्मी प्रतिरोधी किस्मों को बोया गया है. खास बात यह है कि पिछले साल गर्मी से लड़ने वाले गेहूं की इन किस्मों को केवल 45 प्रतिशत क्षेत्र में बोया गया था.
कृषि आयुक्त पीके सिंह ने कहा कि यदि यह मार्च-अप्रैल में औसत से अधिक गर्मी पड़ती है, तो इन किस्मों की बुवाई करने से किसानों को हिट वेव की समस्या का सामना करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि मार्च 2022 में भीषण गर्मी ने उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में गेहूं की पैदावार को प्रभावित किया था. कृषि आयुक्त ने कहा कि किसानों को गर्मी से निपटने के लिए सरकार ने साप्ताहिक वैज्ञानिक सलाह जारी करना शुरू कर दिया है. जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि विकास के विभिन्न चरणों और मौसम की स्थिति में फसल की देखभाल कैसे करें.
उन्होंने कहा कि पहले 15 दिन पर वैज्ञानिक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते थे. लेकिन इस साल हम किसानों को पहले से तैयार करने के लिए साप्ताहिक सलाह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जागरूकता पैदा करने और किसानों को संभावित परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करने से उत्पादन को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गेहूं का रकबा 22 दिसंबर तक बढ़कर 9.44 मिलियन हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 9.29 मिलियन हेक्टेयर था. हालांकि, मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई 8.17 मिलियन हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 8.39 मिलियन हेक्टेयर था. इसी तरह पंजाब और हरियाणा में इस रबी सीजन में 22 दिसंबर तक गेहूं का बुआई क्षेत्र पिछले साल के क्रमशः 3.49 मिलियन हेक्टेयर और 2.31 मिलियन हेक्टेयर के स्तर पर था.