इन दिनों देशभर में किसान खाद की किल्लत का सामना कर रहे हैं. हर रोज अलग-अलग राज्यों से खाद की मारामारी को लेकर कहीं लाइनें देखी जा रही हैं तो कहीं किसान अनशन पर बैठे हैं. इसके अलावा कहीं बारिशों में खड़े हैं तो कहीं पुलिस की लाठियां भी खा रहे हैं लेकिन एक-एक बोरी के लिए संघर्ष जारी है. आपको बता दें कि किसान को खाद ना मिलने से उसकी पैदावार एक झटके में प्रभावित हो सकती है. आइए जान लेते हैं कि किसानों को समय पर खाद ना मिलने से क्या नुकसान हो सकता है?
हमारे देश में बड़े पैमाने में धान की खेती की जाती है. धान की खेती को कम से कम 2 बार खाद की जरूरत होती है. पहली बार बुवाई के 15-30 दिन के बीच में और दूसरी बार जब धान की बालियां निकलने लगें उस वक्त दूसरी बार खाद की जरूरत होती है. इस बार खाद का छिड़काव ना करने के कारण फसल को काफी नुकसान होगा.
यूरिया नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत है. किसानों को बता दें कि यूरिया की कमी से धान की फसल को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है. आइए जान लेते हैं कि नाइट्रोजन की कमी से धान के खेत में क्या क्या नुकसान हो सकते हैं...
नाइट्रोजन की कमी से पौधों की वृद्धि रुक जाती है, इसके अलावा धान के पौधे छोटे और कमजोर हो जाते हैं. सही समय पर यूरिया ना मिलने पर पौधों बड़े होना बंद हो जाते हैं. जिस तरह से खाद की समस्या देखी जा रही है ऐसे समय में धान किसानों की परेशानी बढ़ सकती है.
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धान की फसल में समय से यूरिया ना मिलने पर धान की पत्तियों पर नुकसान साफ देखा जा सकता है. आपको बता दें कि जब धान में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है तो उसकी पत्तियों में पीलापन आने लगता है और कुछ दिनों में पत्तियां सूख जाती हैं.
हमने पहले ही बताया कि यूरिया नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत बताया जाता है. फसल में दो बार यूरिया की जरूरत होती है और इस बार अधिकांश किसानों के खेत में एक बार भी यूरिया का छिड़काव नहीं किया गया है. ऐसे में धान के पौधों की वृद्धि और विकास प्रभावित होती है. इसके चलते किसानों की पैदावार में भी काफी फर्क देखा जा सकता है.
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