खेती-बाड़ी के बारे में गहराई से जानने वाले लोगों को पता है कि जायद सीजन में सबसे अधिक नकदी फसलों की खेती की जाती है. फरवरी से लेकर अप्रैल महीने तक जायद की फसलें उगाई जाती हैं. आप भी किसान हैं और जायद फसलों की खेती करना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की हो सकती है. आपको तीन खास फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो 60-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं और इनकी बाजार मांग खूब होती है. इतना ही नहीं गर्मी के दिनों में इन सब्जियों के हेल्थ बेनिफिट्स भी खूब बताए जाते हैं. आइए जान लेते हैं.
इस साल देश में समय से पहले ही देश में तापमान बढ़ने लगा है. तापमान बढ़ने के कारण रबी सीजन में उगाई गई अधिकांश फसलों की कटाई भी होने लगी है. रबी सीजन की कटाई के तुरंत बाद ही जायद फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है. आपको इन दिनों उगाई जाने वाली तीन खास फसलों के बारे में बता देते हैं.
लौकी हरी सब्जियों में काफी खास मानी जाती है. लौकी की खेती के लिए भी जायद सीजन बेस्ट है. इसे आप किसी भी तरह की मिट्टी में उगा सकते हैं. बुवाई के 60 दिनों के बाद ही लौकी की अधिकांश किस्में फल देने लगती हैं. गर्मी के दिनों में लौकी की मांग खूब होती है.
खीरा तो आप सब ने देखा और खाया है. खीरा पानी दार फल होता है जो गर्मी के दिनों में काफी फायदेमंद माना जाता है. खीरे की खेती के लिए जल धारण वाली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. खीरे की सबसे अधिक खेती जायद में ही होती है. खीरे की फसल भी 60 दिनों में तैयार हो जाती है, अभी उगाकर अप्रैल-मई में अच्छी कमाई कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: आलू की खुदाई के लिए करें इस मशीन का उपयोग, घंटों का काम मिनटों में होगा पूरा!
गर्मी के दिनों में सबसे खास फल तरबूज को माना जाता है. तरबूज उगाने के लिए बलुई मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. इसकी ज्यादातर खेती नदियों के किनारे की जाती है. तरबूज की फसल भी लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है. फरवरी में उगाने वाले किसान पूरी गर्मी इससे अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं.
अगर आप किसान हैं और इन तीनों फसलों की खेती करने जा रहे हैं तो खास बात का ध्यान रखें. ये तीनों ही बेलदार सब्जियां होती हैं. बेलदार सब्जियों को सहारा देना बहुत जरूरी होता है. जैसे ही फसलें बढ़ने लगें तो इसे लकड़ी और रस्सी की मदद से सहारा देना होगा ताकि पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. इन सब के साथ ही पौधों में लगने वाले फल मिट्टी के संपर्क से ऊपर रहेंगे जिसके कारण उसमें किसी तरह के दाग, रोग और संक्रमण का खतरा नहीं होगा.