अगर आप खेती करके अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो कई फसलों के विकल्प मौजूद हैं जिसमें से पान भी एक खास फसल है. पान तो आप सब ने देखा और खाया होगा. इससे जुड़े औषधीय गुणों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन पान की खेती कैसे की जाती है इसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता होता है. पान की खेती अन्य फसलों से थोड़ा अलग है. इसे उगाने के लिए बारीकियों पर ध्यान नहीं दिया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. आइए जान लेते हैं कि पान की खेती कैसे होती है. साथ ही देखभाल का तरीका भी बताते हैं.
पान को बीज और कलम दो तरीके से उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए पहले अच्छी भुरभुरी जुताई करें और खेत में बेडनुमा आकार दें. पान को बीज और बेल दो तरीके से उगाया जा सकता है. पान की रोपाई के लिए खेत में कतारबद्ध पंक्तियां बनाई जाती हैं. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30×30 सेमी. से लेकर 45×45 सेमी. रखी जाती है. रोपाई के लिए 15 जनवरी से 15 मार्च तक का समय अच्छा बताया जाता है.
पान की फसल को तैयार करने के लिए पर्याप्त नमी बनाए रखना होता है. शुरुआत में रोपाई के बाद पुआल से पौधों को ढक कर रखें ताकि पौधों को तेज धूप से बचाकर रखा जा सके. इसके अलावा पौधों को रोजाना सींचने की जरूरत होती है. स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करना अच्छा माना जाता है.
खाद की बात करें तो 15-15 दिनों के अंतराल में सरसों या मूंगफली की खली, नीम की खली वर्मी कंपोस्ट में मिलाकर दी जाती है. मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए फसल चक्र का ध्यान दें और दलहन फसलों की बुवाई करें.
रोपाई के 6-8 सप्ताह बाद जब पौधों की बेलें लगभग डेढ़ फीट लंबी हो जाएं तो बांस-बल्लियों और रस्सी की मदद से इन्हें सहारा देना चाहिए. इससे पौधों को बढ़ने में मदद मिलेगी. आपको बता दें कि बेल जितनी लंबी होगी उसमें उतने ही अधिक पत्ते भी लगेंगे. जैसे-जैसे बेलें बढ़ती जाएंगी, वैसे ही आपको हाथ से बेलों को इन लकड़ियों के ऊपर लपेटना होगा.
पान के बेलों की अच्छी देखभाल के बाद इसमें लगभग चार सप्ताह से ही पत्ते लगने शुरू हो जाते हैं. उपयोग के लिए पान के पत्ते रोपाई के लगभग 3-4 महीने में तैयार होते हैं. इन बेलों पर लगे पत्ते जब आपकी हथेली के आकार के हो जाएं और इनमें खुशबू आने लगे तो आप इसकी तुड़ाई कर सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today