उत्तर प्रदेश में फसलों का सर्वे अब तक कागजों पर होता था लेकिन अब जीपीएस युक्त ऐप के माध्यम से यह सर्वे होगा. लेखपाल अब तक फसलों का सर्वे रिपोर्ट को घर बैठे ही भेजते थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इस पूरी व्यवस्था पर अंकुश लगाते हुए पूरे सर्वे को डिजिटल करने जा रही है. केंद्र सरकार ने डिजिटल क्रॉप सर्वे यानी ई-पड़ताल(Digital crop survey) की योजना बनाई है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तर प्रदेश के 54 जिलों को इसमें सम्मिलित किया गया है. बुंदेलखंड के बांदा मंडल के चारों जिलों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है.
उत्तर प्रदेश में फसलों से संबंधित सर्वे का काम रियल टाइम करने की प्रक्रिया को प्रदेश के 350 तहसीलों में 3102 लेखपालों के माध्यम से किया जाएगा. सर्वे में फसलों से जुड़े हुए आंकड़ों का संकलन तैयार हो जाने के बाद किसानों को योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सरकार को मदद मिलेगी. फसलों के मूल्य निर्धारण में भी इससे मदद मिलेगी. प्रदेश में खरीफ सीजन की शुरुआत 15 जून से हो चुकी है. ऐसे में खरीफ सीजन के लिए सर्वे की तैयारी भी शुरू हो गई है. 10 अगस्त से 25 सितंबर के मध्य खरीफ़ सीजन में सर्वे को अंजाम दिया जाना है. रबी सीजन के लिए 1 जनवरी से 15 फरवरी और जायद सीजन में सर्वे का काम 1 मई से 31 मई के बीच होना है.
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उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जनपद के अतर्रा तहसील के खंहौरा, चंद्रायल, लहरा, सराय जदीद, पैलानी के बीचवाहि, कानाखेड़ा, बबेरू के बिनवट, देवरथा, सरौली, बहादुरपुर गांव में खरीफ सीजन की ई-पड़ताल शुरू हो चुकी है. कृषि उपनिदेशक विजय कुमार ने बताया कि भारत सरकार के किसान कल्याण मंत्रालय ने फसलों के डिजिटल क्रॉप सर्वे के लिए निर्देश दिए हैं. इस व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश सरकार एग्री स्टेट मोबाइल एप जारी है. लेखपाल खरीफ, रबी और जायद फसलों की बुवाई के बाद फसली सर्वे के लिए खेत पर जाएंगे. लेखपाल को किस गाटा संख्या में कौनसी फसल बोई है इसकी बिंदुवार जानकारी फीड करना होगा. मौके की फोटो भी अपलोड करनी होगी. इससे पहले यह पूरा काम कागजी होता था. पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 54 जिलों में ई-क्रॉप सर्वे होना है. फसली पड़ताल के लिए लेखपाल बतौर सर्वेयर का काम करेंगे. वही सुपरवाइजर के रूप में राजस्व निरीक्षक होंगे जो लेखपाल के सर्वे से संतुष्ट ना होने पर उसको रिजेक्ट कर सकते हैं.