खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली मुख्य फसल धान की कटाई शुरू हो गई है. इसके साथ ही रबी सीजन के लिए किसान अपने खेतों को तैयार करने में जुट गए हैं. आपको बता दें कि देश के ज्यादातर किसान रबी सीजन में मुख्य रूप से गेहूं की खेती करना पसंद करते हैं. अच्छी और बेहतर उपज पाने के लिए किसान हर काम समय पर करते हैं. इसके अलावा वे खेतों को भी अच्छे से तैयार करते हैं. लेकिन, किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि उन्नत बीजों से वे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में निश्चित रूप से सुधार कर सकते हैं. बंपर उत्पादन के लिए किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूं की जरूरत है. वर्तमान में वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी किस्में विकसित कर ली हैं, जो प्रति हेक्टेयर 96-97 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम हैं. आइए जानते हैं इन किस्मों के नाम क्या हैं और इनकी खेती कैसे की जा सकती है.
गेहूं की करण वंदना किस्म को DBW 187 के नाम से भी जाना जाता है. इस किस्म को ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म की खासियतों की बात करें तो एक हेक्टेयर में लगभग 96.6 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
इस किस्म के गेहूं में पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियों की संभावना बहुत कम होती है. यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसानों के लिए बेहतर है. करण वंदना किस्म की फसल 148 दिन में तैयार हो जाती है. ब्रेड बनाने में इसका परिणाम बेहतर आया है.
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गेहूं की उन्नत किस्मों में करण श्रिया का नाम भी शामिल है. इस किस्म को DBW 252 कहा जाता है. इस किस्म को जून 2021 में किसानों के लिए लॉन्च किया गया था. जिसे ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. करण श्रिया किस्म को एक सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 55 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. करण श्रिया किस्म 127 दिन में तैयार हो जाती है. यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड तथा उत्तर-पूर्व के तराई क्षेत्रों के किसानों के लिए उपयोगी है.
गेहूं की अद्भुत किस्मों में करण नरेंद्र भी शामिल हैं. इसे DBW-222 भी कहा जाता है. इस किस्म को भी आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म एक हेक्टेयर में लगभग 82.1 क्विंटल उत्पादन देती है. इसे रोटी, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए कारगर माना जाता है. इसकी बुआई अगेती की जा सकती है. यह किस्म 143 दिन में तैयार हो जाती है.
यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसानों के लिए बेहतर मानी गई है.