रबी सीजन आते ही किसान गेहूं की खेती की तैयारियों में जुड़ गए हैं. लेकिन खेती से पहले किसान कई बार गेहूं की उन्नत किस्मों को लेकर उलझन में पड़ जाते हैं कि आखिर किन किस्मों की खेती करें जिससे अधिक उपज पाई जा सके. ऐसे किसानों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने बेस्ट किस्मों और खेती से जुड़ी सारी जानकारी दी है. साथ ही ये भी बताया गया है कि किसान खेती के समय किन बातों का ध्यान रखेंगे तो बंपर उत्पादन होगा. आइए जानते हैं.
गेहूं की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर तैयार करें. फिर 25 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच बीज उपचार करके बुवाई करें. बीज उपचार करने के लिए बीज को कार्बेंडाजिम 50% W जैसे किसी रसायन से उपचारित करें. बुवाई से पहले खेत को जुताई करके समतल करें और जैविक खाद मिलाएं. वहीं, प्रति हेक्टेयर बुआई के लिए 125 किग्रा बीज और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 22.5 सें.मी. और बीज की गहराई 5-7 सें.मी. रखनी चाहिए.
पूसा की ओर से दी गई सलाह के अनुसार, किसान इस रबी सीजन, एच.आई. 1531, एच.आई. 8627, एच.आई. 1500, मालवीय-533 एच.डी.-3338 और अमर किस्मों की खेती कर सकते हैं. इसके अलावा पूसा ने किसानों को सलाह दिया है कि किसान हमेशा उन्नत, नई और क्षेत्र में बोई जाने वाली बेस्ट किस्मों की बुवाई करें.
असिंचित/बारानी और सीमित सिंचाई क्षेत्र में बोई गई गेहूं के लिए 60 किग्रा नाइट्रोजन, 30 किग्रा फास्फोरस और 20 किग्रा. पोटाश का प्रयोग करें. इसके अलावा खरपतवार से बचने के लिए गेहूं बोने के तीन दिनों के अन्दर पेंडीमेथिलीन 1000 मि ली प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती और घर वर्गीय खरपतवार से छुटकारा मिलता है. साथ ही मेट्रीब्युजिन की 175 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर बोने के 25-30 दिनों बाद प्रयोग करें. इसके अलावा एडवाइजरी के अनुसार, रसायनों का छिड़काव धूप वाले दिन, जब हवा की गति बहुत कम हो तभी करें. इन सभी बातों का ध्यान रखकर खेती करने पर किसानों को बंपर उत्पादन मिलेगा.