पंजाब में MSP घोटाला: धान खरीद का खेल! किसान संगठन ने किया भंडाफोड़

पंजाब में MSP घोटाला: धान खरीद का खेल! किसान संगठन ने किया भंडाफोड़

पंजाब में एक बड़ा धान घोटाला सामने आया है, जहां एक कमीशन एजेंट पर अन्य राज्यों से सस्ती धान खरीदकर उसे MSP पर बेचने का आरोप लगा है. किसानों की सजगता से यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया. जानिए पूरी कहानी और सरकार की कार्रवाई.

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क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 22, 2025,
  • Updated Oct 22, 2025, 4:53 PM IST

पंजाब में धान की सरकारी खरीद के नियमों का बड़ा उल्लंघन सामने आया है. एक कमीशन एजेंट सुभाष चंदर को आरोपों के चलते बुक किया गया है. उस पर आरोप है कि उसने अपने निजी गोदाम में हरियाणा जैसी अन्य राज्यों से लाई गई सस्ती धान को इकट्ठा किया और फिर उसे पंजाब में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने की कोशिश की.

1,330 क्विंटल धान की खरीदी का मामला

HS एग्रो एंड कंपनी नाम की फर्म, जो सुभाष चंदर की है, ने 15 अक्टूबर को पंजग्रेन (Pungrain) नामक सरकारी खरीद एजेंसी को लगभग 3,800 बोरे (1,330 क्विंटल) धान बेची. जब पंचग्रेन की टीम ने जांच की, तो पाया गया कि ये बोरे उसी फर्म से जुड़े हुए हैं जो पेंचनवाली गांव में स्थित है. इससे शक हुआ कि यह धान पंजाब की नहीं, बल्कि बाहर से लाई गई है.

किसानों ने किया खुलासा

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष सुखमंदर सिंह और उनके साथियों ने 19-20 अक्टूबर की रात को उस यार्ड का दौरा किया. उन्होंने वहां बड़ी मात्रा में धान जमा देखी. उन्होंने जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) और अन्य अधिकारियों को कॉल की, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. आखिरकार, उन्होंने कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियान को फोन कर यह जानकारी दी, जिसके बाद तुरंत कार्रवाई शुरू हुई.

दोषी अधिकारियों पर भी गिरी गाज

इस मामले के सामने आने के बाद खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इंस्पेक्टर अरुण बब्बर को फाजिल्का से चंडीगढ़ ट्रांसफर कर दिया. कहा जा रहा है कि बब्बर को प्रशासनिक कारणों से हटाया गया, लेकिन असल वजह निजी यार्ड में अवैध धान भंडारण ही है.

धोखाधड़ी और साजिश का केस दर्ज

सुभाष चंदर पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात जैसे गंभीर धाराओं के तहत भारतीय दंड संहिता (BNS) के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है.

अधिकारी रहे लापता

इस मामले में हैरानी की बात यह रही कि जब किसान नेता और स्थानीय लोग अधिकारी से संपर्क करना चाह रहे थे, तो जिला खाद्य और आपूर्ति नियंत्रक वंदना कम्बोज ने भी कॉल रिसीव नहीं की. इससे प्रशासनिक उदासीनता और मिलीभगत की आशंका और भी गहरी हो गई है.

यह मामला पंजाब में सरकारी खरीद प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है. यदि समय रहते किसान संगठन और जागरूक लोग कार्रवाई न करते, तो सरकार को करोड़ों का नुकसान हो सकता था. अब जरूरत है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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