भारत में इन फसलों पर मंडरा रहा खतरा! जानिए पैदावार पर कितना असर डाल सकता है ओजोन प्रदूषण

भारत में इन फसलों पर मंडरा रहा खतरा! जानिए पैदावार पर कितना असर डाल सकता है ओजोन प्रदूषण

आईआईटी-खड़गपुर की एक नई स्‍टडी के अनुसार, ओजोन प्रदूषण, एक ऐसा प्रदूषण है जिसके बारे में कम ही चर्चा होती है, लेकिन यह देश की कृषि उपज के लिए एक बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली खतरा है, जो उत्‍पादन को काफी कम कर सकता है. स्‍टडी के मुताबिक, इससे गेहूं की पैदावार में 20 प्रतिशत और मक्‍का में 7 प्रतिशत की कमी हो सकती है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 09, 2025,
  • Updated Apr 09, 2025, 6:40 PM IST

भारत समेत पूरी दुनिया विभिन्न प्रकार के प्रदूषण की समस्‍याओं से जूझ रही है. अलग-अलग प्रदूषणों का खेती-किसानी और फसलों पर असर देखने को मिलता है. यह ज्ञात-अज्ञात दोनों हो सकता है यानी इसके बारे में हमारे पास पर्याप्‍त या थोड़ी कम ज्‍यादा जानकारी हो सकती है. अब फसलों पर ओजोन प्रदूषण के असर का पता चला है कि कैसे यह कुछ प्रमुख खाद्य फसलों को नुकसान पहुंचाता है. आईआईटी-खड़गपुर की एक नई स्‍टडी के अनुसार, ओजोन प्रदूषण, एक ऐसा प्रदूषण है जिसके बारे में कम ही चर्चा होती है, लेकिन यह देश की कृषि उपज के लिए एक बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली खतरा है, जो उत्‍पादन को काफी कम कर सकता है. स्‍टडी के मुताबिक, इससे गेहूं की पैदावार में 20 प्रतिशत और मक्‍का में 7 प्रतिशत की कमी हो सकती है.

IIT-खड़गपुर की स्‍टडी में बड़ा खुलासा

आईआईटी-खड़गपुर के महासागर, नदी, वायुमंडल और भूमि विज्ञान केंद्र (कोरल) के प्रोफेसर जयनारायणन कुट्टीपुरथ और उनकी टीम की रिसर्च में भारत की प्रमुख खाद्य फसलों पर सतही ओजोन प्रदूषण के गंभीर खतरों का जिक्र किया है. इसमें कहा गया है कि भारत और दुनिया के प्रमुख खाद्यान्न गेहूं, चावल और मक्का बढ़ते सतही ओजोन प्रदूषण के प्रति बहुत ही संवेदनशील हैं.

आईआईटी-खड़गपुर के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘भारत में भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के तहत प्रमुख खाद्य फसलों की उपज के लिए सतही ओजोन प्रदूषण-संचालित जोखिम’ शीर्षक से पब्लिश इस स्‍टडी में कहा गया है कि फसल के स्वास्थ्य की रक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वायुमंडलीय प्रदूषण को कम किया जाना चाहिए और इसकी निगरानी की जानी चाहिए.

फसलों की पत्तियों और उत्‍पादकता पर असर

सतही ओजोन एक मजबूत ऑक्सीडेंट है, जो पौधों के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पत्तियों पर चोट लगती है और फसल उत्पादकता कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि युग्मित मॉडल अंतर-तुलना परियोजना चरण-6 (CMIP6) के डेटा का इस्‍तेमाल करते हुए अनुसंधान ने गेहूं, चावल और मक्का में ओजोन-प्रेरित उपज हानि के ऐतिहासिक रुझानों और भविष्य के अनुमानों का आकलन किया.

गेहूं की पैदावार 20 प्रतिशत कम हो सकती है

निष्कर्ष से पता चलता है कि अपर्याप्त शमन के साथ उच्च-उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत, गेहूं की पैदावार में अतिरिक्त 20 प्रतिशत की कमी हो सकती है, जबकि चावल और मक्का में लगभग सात प्रतिशत का नुकसान हो सकता है. अध्ययन में दिखाया गया है कि इंडो-गंगा का मैदान और मध्य भारत विशेष रूप से संवेदनशील हैं, जहां ओजोन जोखिम सुरक्षित सीमा से छह गुना अधिक हो सकता है.

इसमें कहा गया है कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि भारत कई एशियाई और अफ्रीकी देशों को खाद्यान्न का प्रमुख निर्यातक है. प्रवक्ता ने कहा कि प्रभावी उत्सर्जन कटौती रणनीतियों को लागू करने से कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है और वैश्विक खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा हो सकती है, अध्ययन में कहा गया है, जिसे प्रतिष्ठित पत्रिका 'पर्यावरण अनुसंधान' में प्रकाशित किया गया है. (पीटीआई)

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