कुछ ही दिनों में जून का महीना शुरू होने वाला है. ऐसे में देशभर के किसान धान की खेती में लग गए हैं. वहीं, जून के महीने में मॉनसून आते ही खरीफ सीजन की भी शुरुआत हो जाती है. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. ऐसे में कई राज्यों के किसान जून में धान की रोपाई शुरू कर देते हैं. इस बीच किसान कई ऐसी किस्मों की खेती करते हैं, जो अपनी सुगंध और स्वाद के लिए फेमस होती हैं. साथ ही किसान ऐसी किस्मों की भी खेती करते हैं जिसमें औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. ऐसे में जो किसान खरीफ सीजन में धान की सुगंधित और औषधीय गुणों वाली किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो वह इन पांच खास किस्मों की खेती कर सकते हैं. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो पांच किस्में और क्या हैं उनकी खासियत.
चेन्नेललु: चेन्नेललु धान की एक सुगंधित किस्म है. इस किस्म के दो अलग-अलग प्रकार के धान होते हैं, जिसमें एक पीला और एक लाल होता है. इसके पीले प्रकार में बैंगनी एपिकुलस के साथ सुनहरे पीले दाने होते हैं, जबकि लाल प्रकार में चमकीले लाल दाने होते हैं. वहीं, लाल किस्म को खरीफ मौसम के दौरान साउथ वाले राज्यों में नारियल के बगीचों में उगाया जाता है, जबकि पीली किस्म को खरीफ और रबी के दौरान नमी वाली भूमि में उगाया जाता है. साथ ही ये किस्म 120 से 125 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है.
पूक्किलाथारी: यह धान की एक औषधीय गुणों वाली सुगंधित किस्म है. इस किस्म के दाने छोटे, पतले और भूरे रंग के होते हैं. ये किस्म सीढ़ीनुमा भूमि में रोपाई के लिए उपयुक्त है. यानी इस किस्म की खेती पहाड़ी राज्यों में करना बेस्ट माना जाता है. ये किस्म बुवाई के 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
गंधकशाला: यह धान की एक सुगंधित किस्म है. इस किस्म में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. ये किस्म खरीफ सीजन में रोपाई के लिए उपयुक्त है. वहीं. इस किस्म की खेती मैदानी राज्यों में की जाती है. इसके रंग भूरे होते हैं. साथ ही इसके दाने छोटे और गोल होते हैं. इस किस्म को तैयार होने में 150 से 180 दिनों का समय लगता है.
2-जीराकासला: जीराकासला चावल वायनाड की पारंपरिक सुगंधित चावल की किस्म है. वायनाड जीराकासला चावल की औसत अनाज उपज 2.0 से 2.7 टन प्रति हेक्टेयर और भूसे की उपज 4.0 टन प्रति हेक्टेयर है. इसके पौधे लंबे होते हैं और ये किस्म 180 से 190 दिनों में तैयार हो जाती है. ये किस्म कम मॉनसून के दिनों में अच्छे से ग्रो करती है.
10-नन्जवरा: ये किस्म अपने सुगंध के लिए जानी जाती है. इस किस्म के दाने लंबे, पतले और छोटे होते हैं. वहीं, इस के अलग-अलग प्रकार होते हैं जो पीले और काले होते हैं. पीले वाले किस्म में सुनहरे पीले रंग के दाने होते हैं, जबकि अन्य में यह काले रंग के होते हैं. ये किस्म उच्चभूमि में खरीफ फसल और नम भूमि में ग्रीष्मकालीन फसल के लिए उपयुक्त हैं. साथ ही ये किस्म इसलिए भी खास है क्योंकि ये काफी जल्दी यानी 70 से 75 दिनों में तैयार हो जाती है.