चमेली चाय हो या काली चाय, इस फूल के हैं कई इस्तेमाल, गमले में ऐसे करें इसकी खेती

चमेली चाय हो या काली चाय, इस फूल के हैं कई इस्तेमाल, गमले में ऐसे करें इसकी खेती

अपनी खुशबू के लिए दुनिया भर में उगाए जाने वाले चमेली के फूलों का उपयोग चमेली चाय और अन्य हर्बल या काली चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. एशिया में, चमेली का इस्तेमाल माला बनाने के लिए फूलों को एक साथ पिरोया जाता है.

गमले में उगाएं चमेली चायगमले में उगाएं चमेली चाय
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • May 23, 2024,
  • Updated May 23, 2024, 5:26 PM IST

हमारे देश में चाय का प्रचलन सदियों से है. यहां के लोग सुबह उठकर चाय पीना पसंद करते हैं. जिसके कारण चाय और चायपत्ती की मांग हमेशा बनी रहती है. कुछ लोगों को दूध वाली चाय पीना पसंद होता है तो कुछ को चमेली की चाय, नींबू की चाय या काली चाय. ऐसे में अगर आप भी इन चायों के शौकीन हैं तो इन्हें आसानी से अपने घरों में उगा सकते हैं. आइये जानते हैं कैसे.

चमेली की खेती

अपनी खुशबू के लिए दुनिया भर में उगाए जाने वाले चमेली के फूलों का उपयोग चमेली चाय और अन्य हर्बल या काली चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है. एशिया में, चमेली का इस्तेमाल माला बनाने के लिए फूलों को एक साथ पिरोया जाता है. कई प्रकार की चमेली का उपयोग सजावट के रूप में किया जाता है. लेकिन कई जगह इसका इस्तेमाल चाय बनाने के लिए भी किया जाता है. 

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मिट्टी और जलवायु

चमेली को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट और लाल दोमट भूमि इसकी खेती के लिए आदर्श होती है. चिकनी मिट्टी में वानस्पतिक वृद्धि अधिक होती है और फूल कम आते हैं. ये कम वर्षा की स्थिति में भी अच्छी उपज देते हैं.

चमेली को हल्की और उष्णकटिबंधीय जलवायु पसंद है. चमेली भारत में व्यावसायिक तौर पर खुले खेतों में उगाई जाती है. चमेली की सफल खेती के लिए आदर्श मौसम हल्की सर्दियां, गर्म ग्रीष्मकाल, मध्यम वर्षा और धूप वाले दिन हैं. चमेली 1200 मीटर तक अच्छी तरह बढ़ती है. 800 से 1000 मिमी की अच्छी तरह से वितरित वार्षिक वर्षा वृद्धि और विकास के लिए सही है.

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चमेली की उन्नत किस्में

  • जैस्मीन साम्बक: गुंडुमल्ली, मोतिया, विरुपाक्षी, सुजीमल्ली, मदनाबनम, रामबनम.
  • जैस्मीनम ग्रैंडिफ़्लोरम: Co-1 पिची, Co-2 पिची, थिम्मापुरम, लखनऊ.
  • जैस्मीनम ऑरिकुलेटम को-1 मुल्ला, को-2 मुल्ला, लॉन्ग प्वाइंट, लॉन्ग राउंड, शॉर्ट प्वाइंट, शॉर्ट राउंड.

पौधों के लिए खाद 

प्रत्येक पौधे को 120 ग्राम एन, 240 ग्राम पी2ओ और 240 ग्राम केओ की उर्वरक खुराक की आवश्यकता होती है. उर्वरकों को एक साथ मिलाया जाता है और जनवरी और जुलाई के दौरान दो भाग बनाकर खुराकों में लगाया जाता है. इसे 100 ग्राम प्रति पौधा प्रति माह की दर से जैविक खाद जैसे नीम की खली, मूंगफली की खली आदि के साथ दिया जाता है.

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