
भारत में गेहूं प्रमुख रूप से उगाई जाने वाली फसल है. देशभर में रबी की मुख्य फसल गेहूं की बिजाई का पीक टाइम चल रहा है. कई राज्यों में बड़ी संख्या में बिजाई का काम पूरा कर चुके हैं तो वहीं कई राज्यों में यह जारी है. किसान अच्छी क्वालिटी के खाद-बीज का इस्तेमाल कर रहे है. इस बार किसानों और कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई है. इसी क्रम में गेहूं के उत्पादन को लेकर राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (IIWBR) के निदेशक ने डॉ. रत्न तिवारी ने सकारात्मक बात कही है.
डॉ रत्न तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बार सरकार ने गेहूं उत्पादन लक्ष्य 115 मिलियन टन निर्धारित किया है, जो पूरा हो जाएगा. पिछली साल भी निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर लिया गया था, पिछली बार 113.29 मिलियन टन गेहूं की पैदावार हुई थी, जो इसके भी पिछले साल के लक्ष्य से ज्यादा था. डॉ रत्न तिवारी ने कहा कि इस साल बारिश देर तक हुई है. मॉनसून काफी देर तक रहा है, जिसके चलते पानी का भराव अच्छा है, जहां सिंचाई को लेकर बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं होतीं, वहां पर पानी का भराव है. इसलिए गेहूं की सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त है.
IIWBR के निदेशक ने कहा कि इस बार किसानों ने अपने खेतों में DWR 187, DWR 303, DWR 222, DWR 327 जैसी प्रचिलत गेहूं की किस्में लगाई हैं, जिनसे अच्छी पैदावार की उम्मीद है. उन्होंने किसानों से कहा कि आप मेहनत करते हैं, किसी के बहकावे में आकर ज्यादा यूरिया और दवाइयों का इस्तेमाल ना करें, जो बताया जाता है, वैसे बिजाई करें और उसी अनुसार फसल पर काम करें.
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निदेशक ने किसानों से कहा कि मौसम को लेकर कृषि क्षेत्र के लिए जारी होने एडवाइजरी को ध्यान में रखकर काम करें. उन्होंने 25 नवंबर के बाद गेहूं की बिजाई करने वाले किसानों को पछेती किस्म के गेहूं की बिजाई करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की पैदावार ज्यादा होगा और भंडारण बढ़ेगा, जिससे पूरे देश के किसानों को फायदा होगा.
कृषि विभाग की ओर से जारी शुरुआती आंकड़ों को देखें तो इस साल पिछले साल के मुकाबले 8 नवंबर तक गेहूं की बुवाई के रकबे में 15 फीसदी कमी देखी गई है. इस बार कुल 41.3 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. गेहूं उगाने वाले प्रमुख राज्यों में शामिल हरियाणा, मध्य प्रदेश राजस्थान में गेहूं की खेती का क्षेत्रफल घटा है. हालांकि, अभी बुवाई की शुरुआत को देखते हुए रकबे में उछाल की संभावना बनी हुई है.