कीटों के आक्रमण से गन्ने की पैदावार में गिरावट का अनुमान, चीनी की हो सकती है कमी

कीटों के आक्रमण से गन्ने की पैदावार में गिरावट का अनुमान, चीनी की हो सकती है कमी

उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल के 13.05 लाख टन से घटकर 12.90 लाख टन रह गया है, जबकि महाराष्ट्र में यह 13.50 से घटकर 4.60 लाख टन और कर्नाटक में 11 लाख टन  से घटकर 7 लाख टन रहा. ऐसे में अनुमान है और शुगर मिलों के चीनी उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.

गन्‍ने की खेती में एआई का इस्‍तेमाल. (सांकेतिक फोटो)गन्‍ने की खेती में एआई का इस्‍तेमाल. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 06, 2024,
  • Updated Dec 06, 2024, 8:10 PM IST

देश के कई राज्यों में गन्ना उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गई है. गन्ने की फसल में कीटों के अटैक के पैदावार में गिरावट आ सकती है. साथ ही इससे किसानों की आमदनी में भी कमी का अनुमान है और शुगर मिलों के चीनी उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है. दरअसल, कीटों के हमले के कारण उत्पादन में गिरावट के साथ ही चीनी की मात्रा और इथेनॉल डायवर्सन पर असर पड़ सकता है. चालू सीजन (अक्टूबर 2024-सितंबर 2025) में देश का गन्ना उत्पादन 440 मिलियन टन के शुरुआती अनुमान से कम हो सकता है, जिससे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्यों में कीटों के हमले की रिपोर्ट के बाद चीनी के लिए गन्ने की कमी हो सकती है.

गन्ना के पैदावार में हो सकती है गिरावट

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, चालू चीनी सीजन के पहले दो महीनों में, जो अक्टूबर से सितंबर तक चलता है, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल के 13.05 लाख टन से घटकर 12.90 लाख टन रह गया है, जबकि महाराष्ट्र में यह 13.50 से घटकर 4.60 लाख टन और कर्नाटक में 11 लाख टन  से घटकर 7 लाख टन रहा. हालांकि, चीनी उत्पादन में गिरावट दिखाने वाले मौजूदा आंकड़ों का मुख्य कारण पिछले साल की तुलना में महाराष्ट्र में गन्ना पेराई की देरी से शुरुआत और कम चालू मिलें हैं.

कीटों के आक्रमण से पैदावार हुई कम

इस पर उत्तर प्रदेश के मिलर्स ने कहा कि जिन क्षेत्रों में किसानों ने सीओ-0238 किस्म की फसल लगाई थी, वहां ‘लाल सड़न’ और आंशिक रूप से ‘टॉप बोरर’ कीट के कारण गन्ने के उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. साथ ही गन्ना रोपण के प्रभारी एक मिल के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़कर, मोटे तौर पर इस साल पूरे राज्य में ‘लाल सड़न’ बीमारी दिखी है, लेकिन संक्रमण की सीमा हर जिले में अलग-अलग थी.  उन्होंने कहा कि जहां तक गन्ना फसल का सवाल है, मुरादाबाद मंडल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है.

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केंद्रीय कृषि मंत्रालय के डिजिटल सर्वेक्षण में पहले मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सीओ-0238 किस्म में ‘लाल सड़न’ बीमारी की पहचान की गई थी. इसी तरह, महाराष्ट्र के तीन जिलों में व्हाइट ग्रब से गन्ना प्रभावित होने की खबरें हैं.

पैदावार 10-15 टन प्रति हेक्टेयर कम

इसके अलावा पश्चिमी महाराष्ट्र में व्हाइट ग्रब और कुछ इलाकों में रेड रॉट बीमारी दिखी है, जिसके बारे में मिल मालिकों का मानना है कि इससे पैदावार कम होगी. एक उद्योग निकाय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन हमने पिछले एक पखवाड़े में देखा है कि गन्ने की पैदावार सामान्य से 10-15 टन प्रति हेक्टेयर कम है.

कोल्हापुर के एक ब्रोकर और चीनी निर्यातक अभिजीत घोरपडे ने कहा कि गन्ने की फसल पिछले साल से भी खराब दिख रही है. जून से सितंबर के दौरान पर्याप्त धूप न मिलने से महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों में गन्ने की वृद्धि प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कम पैदावार देखी जा रही है.

इन सभी कारणों से पैदावार में कमी

कर्नाटक गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुर्बुर शांताकुमार ने कहा कि बेलगाम, विजयनगर और हावेरी जिलों के कुछ हिस्सों में ‘व्हाइट ग्रब’ संक्रमण के मामले सामने आए हैं. शांताकुमार ने कहा कि इस साल पैदावार कम हुई है और कर्नाटक में गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 5.65 करोड़ टन से कम होकर लगभग 5 करोड़ टन रहने की संभावना है. व्हाइट ग्रब रोग के अलावा, किसानों के एक वर्ग को गर्मियों के महीनों में पानी की कमी का भी सामना करना पड़ा, जिसका असर पैदावार पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि उत्पादकता में 5-10 प्रतिशत की मामूली गिरावट हो सकती है.

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