Chittoor Mango News: आंध्र प्रदेश में इस बार चित्तूर जिले में तोतापुरी आम की बंपर फसल हुई है. लेकिन खरीद कीमतों को लेकर मौजूदा गतिरोध जारी है. हालांकि राज्य सरकार की तरफ से यह वादा किया गया है कि सरकार आखिरी आम तक किसानों से खरीदेगी, बावजूद इसके किसान और पल्प प्रोसेसर्स में टकराव पैदा हो गया है और सरकार में नाराजगी है. बंपर फसल और पड़ोसी राज्यों में आम की गिरती कीमतों की वजह से फिलहाल इस संकट का कोई जल्द समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है.
चित्तूर में जो तोतापुरी उगाया जाता है, उसका प्रयोग खासतौर पर पल्प के लिए किया जाता है. चित्तूर तोतापुरी किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है. इस मौसम में सरकार की तरफ से अनिवार्य खरीद कीमतों और बाजार की गतिशीलता के बीच अंतर की वजह से बड़े संकट का सामना कर रहा है. किसानों की मदद के लिए सरकार ने इस साल खरीद मूल्य 12 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था जिसमें 4 रुपये सब्सिडी के तौर पर दिए जाने थे. लेकिन इस इस फैसले का पल्प फैक्ट्री मालिकों ने कड़ा विरोध किया है. उनका दावा है कि उनके पास पहले से ही अतिरिक्त पल्प स्टॉक और कमजोर मांग है.
पड़ोसी राज्य कर्नाटक में आम की कम कीमतों के कारण स्थिति और भी खराब हो गई है. यहां पर आमों की खरीद सिर्फ 4 रुपये प्रति किलोग्राम पर की जा रही है. चित्तूर के प्रोसेसर्स का तर्क है कि 8 रुपये में आम खरीदना जबकि पल्प को सभी क्षेत्रों में एक समान बाजार दरों पर बेचा जाना है, बहुत ही अव्यवहारिक है.
9 जून को खरीद शुरू हुई जिसमें दक्षिणी आंध्र प्रदेश से करीब 40,000 टन आम खरीदे गए. लेकिन जैसे ही चित्तूर में प्रतिदिन आमों की आवक बढ़कर 5000 टन और तिरुपति में 2,000 टन हो गई, यह व्यवस्था चरमरा गई. कर्नाटक के कृष्णागिरी और कोलार से सस्ते आमों की आवक ने स्थिति को और खराब कर दिया है. एक लोकल प्रोसेसर्स ने सवाल किया, 'वहां प्रोसेसर्स 4 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीद रहे हैं जबकि हमसे 8 रुपये प्रति किलोग्राम देने को कहा जा रहा है. जब पल्प हर जगह एक ही कीमत पर बेचा जा रहा है, तो यह कैसे टिकाऊ है.'
वर्तमान में चित्तूर की 39 पल्प फैक्टरियों में से सिर्फ 15 ही सक्रिय तौर पर आम खरीद रही हैं. 25 यूनिट्स ने शुरू में रुचि दिखाई थी लेकिन कीमतों की चिंताओं के कारण उनमें से ज्यादातर ने बाद में इसमें कमी कर दी है. बागों में आम तेजी से पक रहे हैं इसलिए हताश किसान जो भी कीमत मिल सकती है उस पर बेचने को मजबूर हैं. अभी फैक्टरियां 6 रुपये प्रति किलोग्राम की पेशकश कर रही हैं जिसमें 4 रुपये प्रति किलोग्राम सरकारी सब्सिडी भी शामिल है. ऐसे में यह आंकड़ा 10 रुपये तक पहुंच जाता है.
किसान संगठन प्रोसेसर्स पर 12 रुपये की कीमत को मानने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन पड़ोसी क्षेत्रों में ज्यादा सप्लाई और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण कीमतों को नीचे खींच रहे हैं. अगस्त तक आम का पीक सीजन जारी रहने की उम्मीद है ऐसे में दोनों पक्ष चुनौतीपूर्ण स्थिति में फंसे हुए हैं. अधिकारी संकट को दूर करने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहे हैं. चित्तूर जिला बागवानी अधिकारियों की मानें तो दोनों पक्षों पर बोझ डाले बिना सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं.
इस साल 5.4 लाख मीट्रिक टन की बंपर फसल की वजह से कीमतों में भारी गिरावट आई है. साथ ही आवक और बाजार के रुझान के आधार पर उतार-चढ़ाव जारी रहने की उम्मीद है. इस बीच, पूर्व मंत्री और पुंगनूर के विधायक पेड्डीरेड्डी रामचंद्र रेड्डी ने चेतावनी दी है कि अगर पल्प यूनिट्स 8 रुपये प्रति किलो की दर से आम नहीं खरीदती हैं तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने राज्य सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की और जिले में 56,000 एकड़ आम की खेती के लिए उचित मुआवजे की मांग की.
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