Maharashtra News: सोयाबीन बह गया, घर डूब गए... फसल नष्ट होने पर फूट-फूट कर रोया किसान

Maharashtra News: सोयाबीन बह गया, घर डूब गए... फसल नष्ट होने पर फूट-फूट कर रोया किसान

सातारा जिले के कराड़ तहसील के शामगांव से शनिवार को दिल दहला देने वाला मामला सामने आया. दरअसल, शामगांव के किसान बापूराव चंदू पोंल का पूरा सोयाबीन का खेत मूसलाधार बारिश में बह गया.

फूट-फूट कर रोया किसानफूट-फूट कर रोया किसान
क‍िसान तक
  • Satara,
  • Sep 28, 2025,
  • Updated Sep 28, 2025, 12:02 PM IST

महाराष्ट्र में भारी बारिश का कहर जारी है.राज्य में लगातार हो रही बारिश किसान काफी परेशान हैं. इस बीच सातारा जिले के कराड़ तहसील के शामगांव से शनिवार को दिल दहला देने वाला मामला सामने आया. दरअसल, शामगांव के किसान बापूराव चंदू पोंल का पूरा सोयाबीन का खेत मूसलाधार बारिश में बह गया. जिसे देख खेत के बीचो बीच, हाथ में कुछ गिने-चुने दाने लिए, वह फूट-फूटकर रो पड़े.

रो-रो कर सरकार से मांगी मदद

किसान बापूराव का आक्रोश इतना तीखा था कि पूरा गांव सुनता रह गया. उन्होंने रोते-रोते कहा कि मुख्यमंत्री साहब हमें जीना है या मरना? गर्मियों में पानी नहीं, बरसात में खेत डूब जाते हैं… ये ओला सूखा हमें खत्म कर देगा. अगर सरकार ने मदद नहीं कि तो हमारे पास मरने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा. मेहनत और लगन से उगाए गए सोयाबीन के दानों के साथ भीगे कपड़े और आंखों से झरते आंसू… इस नजारे ने गांव वालों को भी भावुक कर दिया. खेत में उमटी किसान की हताश चीख अब पूरे किसान समाज की व्यथा बन गई है.

कई घरों और दुकानों में घुसा पानी

इस बीच, कोयना डैम के छह दरवाजे दो फीट तक खोले गए और करीब 30 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. नदी किनारे बसे गांवों को अलर्ट पर रखा गया है. वहीं, सातारा जिले के म्हसवड इलाके में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. कई घरों और दुकानों में भी पानी घुस गया है. इसके अलावा सड़कों पर जलभराव है जिससे आम आदमी के साथ-साथ किसानों की भी कमर टूट चुकी है.

किसानों की फसलों को हुआ नुकासन

मूसलाधार बारिश ने किसानों का सब कुछ छीन लिया है. खेत ही नहीं अब तो किसानों के घर भी पानी में डूब गए हैं. हालत ये है कि किसान परिवार को सड़कों पर रहना पड़ रहा है. बर्तन, भांडी, घर का छोटा-बड़ा सामान सब लेकर किसान परिवार अब बेघर हो चुके हैं. वहीं, सबसे दर्दनाक तस्वीर बच्चों की है, जो बच्चे कल तक स्कूल जाते थे, वो आज खुले आसमान के नीचे, सड़कों पर रात गुज़ारने को मजबूर हैं.  अब बड़ा सवाल यही है—क्या सरकार इन किसानों की मदद के लिए सामने आएगी? या फिर किसान परिवार ऐसे ही बदहाली झेलने को मजबूर रहेंगे? (सकलेन मुलाणी की रिपोर्ट)

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