पहले स‍िर्फ तीन हजार हेक्टेयर में होती थी खेती, आज 125 लाख हेक्टेयर है क्षेत्र, इस फसल का क्या है नाम?

पहले स‍िर्फ तीन हजार हेक्टेयर में होती थी खेती, आज 125 लाख हेक्टेयर है क्षेत्र, इस फसल का क्या है नाम?

समय के साथ बढ़ रहा उत्पादन लेक‍िन बीमारियों से खत्म हो जाती है सोयाबीन की 20 प्रतिशत फसल. सोयाबीन र‍िसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञान‍िकों के अनुसार पहले इसकी उत्पादकता बहुत अच्छी थी. उसका कारण इनमें रोग और कीटों का न लगना था, लेक‍िन बाद में इसमें बीमारियों और कीटों का प्रकोप बढ़ता गया. 

सोयाबीन की खेती सोयाबीन की खेती
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Sep 01, 2023,
  • Updated Sep 01, 2023, 9:47 AM IST

सोयाबीन की ग‍िनती त‍िलहन और दलहन दोनों फसलों में होती है. भारत में सोयाबीन का व्यावसायिक उत्पादन 70 के दशक से शुरू हुआ. चूंकि पहले यह देश के लिए नई फसल थी, इसल‍िए जैसा कि प्रकृति का नियम है क‍ि नई फसल नई जगह पर खूब फूलती-फलती हैं और इस तरह इसका क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ता चला गया. इसकी खेती की शुरुआत 1970-71 में हुई. यानी 53 साल पहले. तब इसका क्षेत्रफल स‍िर्फ 3 हजार हेक्टेयर था, जो 2023 में बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर हो गया है और उत्पादन 130 लाख टन हो गया है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बीच इसके क्षेत्र व‍िस्तार और उत्पादन बढ़ाने को लेकर जबरदस्त प्रत‍िस्पर्धा है. 

इस वक्त महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक प्रदेश है. उसने मध्य प्रदेश को पीछे छोड़ द‍िया है. फ‍िलहाल, अगर देश की बात करें तो दो दशक पहले 2001-02 में स‍िर्फ 64 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती हो रही थी और उत्पादन 60 लाख टन था. उत्पादकता 940 क‍िलो प्रत‍ि हेक्टेयर थी जो 2021-22 में बढ़कर प्रत‍ि हेक्टेयर 1059 क‍िलो हो गई है. यह एक ऐसी फसल है ज‍िसे दलहन, त‍िलहन दोनों रूप में इस्तेमाल क‍िया जाता है इसल‍िए इसकी लोकप्र‍ियता बढ़ती चली गई. 

बीमार‍ियों और कीटों की वजह से घटी उत्पादक 

सोयाबीन र‍िसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञान‍िकों के अनुसार पहले इसकी उत्पादकता बहुत अच्छी थी.  उसका कारण इनमें रोग और कीटों का न लगना था, परंतु ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, त्यों-त्यों इसमें बीमारियों और कीटों का प्रकोप भी बढ़ता गया. इससे उत्पादकता में भी कमी आई. इस फसल में बीमारियों के कारण होने वाली हानि प्रमुख है. बीमारियों से औसतन 20 प्रतिशत तक हानि होती है. यह नुकसान हर साल जलवायु एवं सोयाबीन की किस्मों पर निर्भर करता है. 2012-13 में उत्पादकता प्रत‍ि हेक्टेयर 1353 क‍िलो तक पहुंच गई थी, जो बाद में घट गई. 

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कौन-कौन सी बीमार‍ियां लगती हैं? 

सोयाबीन की फसल में बैक्टीरियल ब्लाइट, सामान्य मोजेक, झुलसा रोग, पीला मोजेक रोग, चारकोल सड़न और बैक्टीरियल पश्चूल जैसी बीमार‍ियां लगती हैं. सेंटर के वैज्ञान‍िकों के अनुसार सोयाबीन पौधे के विभिन्न अवस्थाओं में लगभग 100 बीमारियां लगती हैं, परंतु भारत में लगभग 35 बीमारियां लगती हैं, जिनमें से 15 ऐसी हैं जिनसे उत्पादन में या गुणवत्ता में भारी नुकसान होता है.

यह बीमारियों विषाणुओं एवं फफूंद द्वारा उत्पन्न होती है. नुकसान को कम करने एवं भरपूर उत्पादन के लिए बीमारियों की सही पहचान अति आवश्यक है. जिससे समय पर इनका निदान किया जा सके. समय पर बीमार‍ियां पकड़ में आएंगी और उनका न‍िदान होगा तो ज्यादा उत्पादन लिया जा सकेगा.

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