गन्ने की कीमत को लेकर महाराष्ट्र में किसानों का आंदोलन तेज, कटाई और ढुलाई ठप करने की चेतावनी

गन्ने की कीमत को लेकर महाराष्ट्र में किसानों का आंदोलन तेज, कटाई और ढुलाई ठप करने की चेतावनी

कोल्हापुर में जिला प्रशासन की बैठक बेनतीजा रहने के बाद स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने आंदोलन तेज किया. किसान नेता राजू शेट्टी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यक्रम में विरोध की चेतावनी दी, जबकि कई मिलों में पेराई सीजन शुरू नहीं हो सका.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 05, 2025,
  • Updated Nov 05, 2025, 1:55 PM IST

महाराष्ट्र में भी गन्ना किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है. यहां कोल्हापुर में मंगलवार को जिला कलेक्टर अमोल येडगे की ओर से बुलाई गई गन्ना किसानों के प्रतिनिधियों और शुगर मिल मालिकों के बीच एक अहम बैठक बेनतीजा रही. मीटिंग खत्म होने के एक दिन बाद किसानों के संगठनों ने अपना आंदोलन और तेज कर दिया है.

अब किसानों का मकसद पूरे जिले में गन्ने की कटाई और मिलों तक उसकी ढुलाई को रोकना है. अब सबकी नजरें बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कोल्हापुर शहर के दौरे पर हैं. किसानों के नेता राजू शेट्टी ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में बाधा डालने की धमकी दी है, ताकि गन्ने की कीमत के मुद्दे पर उनसे सीधा जवाब मिल सके. 

किसानों को कलेक्टर ने दिलाया भरोसा

इस बीच, कलेक्टर येडगे ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि गुरुवार को कोल्हापुर के पालक मंत्री प्रकाश आबिटकर के साथ एक फॉलो-अप मीटिंग होगी.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन के कारण मंगलवार को बड़े पैमाने पर रुकावटें आईं, क्योंकि कई जगहों पर कटाई का काम रोक दिया गया और शुगर मिलों के स्थानीय दफ्तरों को जबरन बंद कर दिया गया. हालांकि गन्ने की पेराई का सीजन आधिकारिक तौर पर 1 नवंबर को शुरू हो गया था, लेकिन कई मिलों ने अभी तक काम शुरू नहीं किया है. खबरों के मुताबिक बढ़ते विरोध प्रदर्शनों से हिंसा के डर के कारण ऐसा हुआ है.

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन का विरोध

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन और अन्य संगठनों के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने उनसे संपर्क किया और उन्हें मुख्यमंत्री के दौरे और कोल्हापुर में अन्य VIP कार्यक्रमों में बाधा न डालने की सलाह दी.

शेट्टी ने कहा, "कानून के मुताबिक, शुगर मिलों को किसानों के साथ फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) के अलावा अपने मुनाफे का हिस्सा भी बांटना होता है. हालांकि, कई मिलों ने 2024-25 के लिए अपनी कमाई का डेटा छिपाया है. उन्हें पिछले सीजन के लिए गन्ना किसानों को 200 रुपये प्रति टन देने हैं और नए सीजन के लिए कीमत भी घोषित करनी है. कई मिलों ने चालाकी से घोषणा की है कि वे FRP देंगे, लेकिन घोषित रकम बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए कटाई और ढुलाई खर्च को काटने के बाद है."

चीनी मिलों पर बढ़ा दबाव

शेट्टी ने कहा कि कटाई और ढुलाई का असली खर्च 700-800 रुपये प्रति टन के बीच होता है, फिर भी मिलें इस आंकड़े को बढ़ाकर 1,000 से 1,100 रुपये प्रति टन कर देती हैं.

विरोध की गंभीरता को दिखाते हुए, पन्हाला तहसील के असुरले पोरले में किसानों ने एक प्राइवेट शुगर मिल के स्थानीय दफ्तर को बंद कर दिया. इसी तरह, शेट्टी के समर्थकों ने चंदगढ़ तहसील के पटाने फाटा में 'रास्ता रोको' (सड़क जाम) किया, और अपने गन्ने के लिए सही कीमत की मांग की.

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