
इस साल भारत में रेपसीड (सफेद सरसों) की बुवाई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है. इसकी सबसे बड़ी वजह चीन से रेपसीड मील की रिकॉर्ड खरीदारी है. इसके अलावा, भारत में इस बार औसत से ज्यादा बारिश हुई है, जिससे सरसों फसल के लिए मिट्टी में नमी अच्छी रही. किसान इन दोनों कारणों का फायदा उठाते हुए इस बार देश में सरसों की बंपर बुवाई कर रहे हैं.
सरसों सर्दियों में बोई जाने वाली भारत की मुख्य तिलहन फसल है जिसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. या तो बेचने के लिए या खुद के कुकिंग तेल के खर्च के लिए. इसकी बुवाई बढ़ने से सरसों उत्पादन में बढ़ोतरी होगी जिससे दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक भारत को महंगे विदेशी कुकिंग तेलों की खरीदारी कम करने में भी मदद मिलेगी.
राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी राज्य जयपुर में रहने वाले एक प्रमुख व्यापारी अनिल चतर ने 'रॉयटर्स' से कहा, "किसानों को पिछले साल की रेपसीड फसल से बहुत मुनाफा हुआ, इसलिए इस साल वे इसकी और भी ज्यादा बुवाई कर रहे हैं."
उन्होंने कहा कि रेपसीड और इससे मिलती-जुलती सरसों के लिए कुल बुवाई का रकबा इस साल 7 फीसद से 8 फीसद बढ़ने की उम्मीद है.
भारतीय किसान आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में रेपसीड बोते हैं. इस साल अब तक उन्होंने 41 लाख हेक्टेयर में बुवाई की है, जो पिछले साल इसी समय की तुलना में 13.5 फीसद ज्यादा है.
देश ने पिछले साल 90 लाख हेक्टेयर में रेपसीड की बुवाई की थी, जो पांच साल के औसत 79 लाख हेक्टेयर से अधिक है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि इस साल घरेलू स्तर पर रेपसीड तेल की अच्छी मांग रही है, जबकि चीन से रेपसीड मील की निर्यात मांग भी मजबूत रही है.
चीन ने मार्च में कनाडा, जो उसका सबसे बड़ा सप्लायर है, से रेपसीड मील और तेल के आयात पर 100 फीसद जवाबी टैरिफ लगाने के बाद भारत से रेपसीड मील खरीदना तेजी से शुरू कर दिया था.
एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से शुरू हुए मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में, चीन ने भारत से रिकॉर्ड 488,168 मीट्रिक टन रेपसीड मील आयात किया, जबकि पूरे 2024-25 वित्तीय वर्ष में यह सिर्फ 60,759 टन था.
चतर ने कहा कि मील और तेल दोनों की मजबूत मांग के कारण रेपसीड की कीमतें पिछले साल की फसल के लिए सरकार की ओर से तय 5,950 रुपये ($68) प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर बनी रहीं.
भारत ने नए सीजन के रेपसीड के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 4.2 फीसद बढ़ाकर 6,200 रुपये कर दिया है. मुंबई में एक ग्लोबल ट्रेड हाउस के एक डीलर ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "रेपसीड में सोयाबीन से कहीं ज्यादा तेल होता है. अगर उत्पादन इसकी बुवाई के हिसाब से होता रहा, तो इससे भारत में खाने के तेल के इंपोर्ट में बढ़ोतरी को धीमा करने में मदद मिलेगी."
भारत अपने खाद्य तेल की जरूरत का लगभग एक तिहाई हिस्सा मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, यूक्रेन और रूस से पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल के इंपोर्ट से पूरा करता है.