Shareefa Ki Kheti: देश के किसान अब पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं. वे परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से बागवानी फसलों की खेती कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं. इन्हीं फसलों में से एक शरीफा की खेती है. मालूम हो कि शरीफा को सीताफल के नाम से भी जाना जाता है. वहीं किसानों के बीच शरीफा की व्यावसायिक खेती काफी लोकप्रिय है. इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से हो सकती है. हालांकि अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी बढ़वार और पैदावार बढ़ा सकती है. वहीं शरीफा कई न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है. यह सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, प्रोटीन और कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जोकि शरीर को कई रोगों से बचाने में मदद करते हैं. यही वजह है कि देश के कई हिस्सों के किसान इसकी व्यावसायिक खेती कर बढ़िया पैसे कमा रहे हैं.
ऐसे में अगर आप एक किसान हैं और आप भी शरीफा की व्यावसायिक खेती कर अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं, तो इस खबर को अंत तक पढ़ें. इस खबर में आपको शरीफा की उन्नत किस्में और खेती से संबंधित पूरी जानकारी मिलेगी-
शरीफा की खेती के लिए सामान्य जलवायु की जरूरत होती है. जहां न तो ज्यादा गर्मी पड़ती हो, न तो ज्यादा ठंडी पड़ती हो. ज्यादा ठंड और पाले पड़ने वाले स्थानों पर इसकी खेती सफल नहीं हो पाती है. इसके पौधे गर्मी में जल्दी बढ़ते हैं. फूल आने के समय मौसम शुष्क होना चाहिए. 40 डिग्री से अधिक तापमान पहुंचने पर इसके फूल झड़ने लगते हैं.
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शरीफा की ज्यादातर किस्में खेत में लगाने के दो से तीन साल बाद फल देना शुरू कर देते हैं. जिनमें निम्नलिखित किस्में शामिल हैं-
बाला नगर: झारखंड क्षेत्र के लिए यह एक उपयुक्त किस्म है. इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं. इस किस्म के फलों में बीज की मात्रा अधिक पाई जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके एक पौधे से तकरीबन 5 किलो के आसपास फल प्राप्त किए जा सकते हैं.
अर्का सहन शरीफा: यह एक हाइब्रिड किस्म है जिसके फल अन्य किस्मों के अपेक्षा चिकने और अधिक मीठे होते हैं.
लाल शरीफा: यह शरीफा की एक ऐसी किस्म है जिसके फल लाल रंग के होते हैं तथा औसतन प्रति पेड़ सालाना लगभग 40-50 फल आते हैं. बीज द्वारा उगाये जाने पर भी काफी हद तक इस किस्म की शुद्धता बनी रहती है.
मैमथ शरीफा: शरीफा की उन्नत किस्म मैमथ की उपज लाल शरीफा की अपेक्षा अधिक होती है. इस किस्म में सालाना प्रति पेड़ लगभग 60-80 फल आते हैं. इस किस्म के फलों में लाल शरीफा की अपेक्षा बीजों की संख्या कम होती है.
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शरीफा लगाने के लिए जुलाई का महीना उत्तम रहता है. वहीं शरीफा का बीज जमने में काफी समय लगता है. इसलिए नर्सरी में पौधों को तैयार कर पौधों की रोपी करनी चाहिए. वहीं नर्सरी से पौधों को लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि पॉलीथीन के थैलियों में मिट्टी भरकर बीज लगाएं और जब पौधे जमकर तैयार हो जायें तब पॉलीथीन के थैलियों को नीचे को अलग कर दें. पौधें को पिंडी सहित बगीचे में तैयार गड्ढे में लगा दें. शरीफा के पौधे के लिये गर्मी के दिनों में 60 x 60 x 60 सें.मी. आकार के गड्ढे 5 x 5 मी. की दूरी पर तैयार किये जाते हैं. यदि बारिश नहीं हो रही हो तो पौधों की 3-4 दिन पर सिंचाई करने से पौधे जल्दी से स्थापित यानी लग जाते हैं, और सूखते नहीं हैं.