Sugarcane Farming: गन्ने की खेती में क्रांतिकारी बदलाव, अब रसायनों से नहीं प्रकृति से होगा विकास

Sugarcane Farming: गन्ने की खेती में क्रांतिकारी बदलाव, अब रसायनों से नहीं प्रकृति से होगा विकास

प्राकृतिक खेती ना केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने, लागत घटाने और मिट्टी को फिर से उपजाऊ बनाने का सबसे कारगर उपाय भी है. इस समय जरूरत है कि हम सभी मिलकर इस दिशा में आगे बढ़ें और एक हरित एवं स्वस्थ भारत का निर्माण करें.

Revolutionary change in sugarcane farmingRevolutionary change in sugarcane farming
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 15, 2025,
  • Updated Jun 15, 2025, 4:21 PM IST

उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने हाल ही में प्रदेश में "गन्ने के साथ प्राकृतिक खेती के विश्लेषण, विकास संभावनाएं और चुनौतियां" विषय पर आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी को संबोधित किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होना चाहिए.

रासायनिक खेती का प्रभाव

आयुक्त महोदय ने बताया कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से हमारे देश की फसलें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टिक नहीं पातीं. गुणवत्ता खराब होने के कारण उन्हें वापस भेज दिया जाता है. यही नहीं, रसायनों के कारण उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य, मिट्टी, जल और पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

प्राकृतिक खेती क्यों ज़रूरी है?

प्राकृतिक खेती एक ऐसी प्रणाली है जिसमें किसी बाहरी रासायनिक संसाधन की आवश्यकता नहीं होती. यह पूरी तरह से पर्यावरण हितैषी है और देसी गाय, देशी बीज, मृदा जीवांश व जल संरक्षण को बढ़ावा देती है. इससे मिट्टी में लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता भी सुधरती है.

वैज्ञानिक खेती से आत्मनिर्भरता!

उपाध्याय ने कहा कि वैज्ञानिक खेती से हमने खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन इसके साथ कुछ गंभीर समस्याएं भी आई हैं. जैसे कि मिट्टी का स्वास्थ्य गिर रहा है, भू-जल स्तर घट रहा है और वायु व जल प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है.

लागत कम, लाभ अधिक

प्राकृतिक खेती किसानों की लागत को कम करती है क्योंकि इसमें महंगे रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों की ज़रूरत नहीं होती. देसी गाय के गोबर व गौ-मूत्र से बने जैविक खाद खेत की उर्वरता को बनाए रखते हैं. इससे ना सिर्फ उत्पादन बेहतर होता है बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरती है.

गन्ने की खेती में प्राकृतिक उपाय

गन्ना आयुक्त ने कहा कि गन्ने की खेती में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक व जैविक उपायों को बढ़ावा देना चाहिए. इससे न केवल लागत घटेगी बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.

किसान भी आए आगे

संगोष्ठी में कई अनुभवी किसानों ने अपने अनुभव साझा किए. सहारनपुर के सेठपाल सिंह ने प्राकृतिक खेती के फायदों पर बात की. बुलन्दशहर के भारत भूषण त्यागी व संजीव कुमार ने "समझना, सीखना और करना" को प्राकृतिक खेती की कुंजी बताया. बरेली के अनिल कुमार ने अपने अनुभव साझा किए, जबकि शामली के अरुण मलिक और ठाकुर धर्मपाल सिंह ने जीवामृत, घनजीवामृत या बीजामृत जैसे जैविक संसाधनों पर जानकारी दी.

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